नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन कानून और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर पर शाहीन बाग में पिछले 70 दिनों से विरोध प्रदर्शन देखने को मिल रहा है जिसे सुलझाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने वार्ताकारों की नियुक्ति की है। तीन दिन की बातचीत बेनतीजा निकलने के बाद अब चौथे दिन वार्ताकार साधना रामचंद्रन शाहीन बाग में पहुंचीं और प्रदर्शनकारी महिलाओं से बातचीत कीं। खास बात है कि रामचंद्रन आज अकेले पहुंची, उनके साथ संजय हेगड़े मौजूद नहीं थे।
पहले ऐसी खबरें थी कि दोनों वार्ताकार आज शाहीन बाग नहीं जाएंगी लेकिन साधना रामचंद्रन आज अचानक शाहीन बाग पहुंच गईं। कल शाहीन बाग के लोगों से तीसरे दौर की बातचीत भी फेल हो गई थी। शाहीन बाग में तीसरे दिन वार्ताकार और प्रदर्शनकारियों की बातचीत में सुरक्षा का मुद्दा अहम रहा है और जब सुरक्षा को लेकर बात रखी गई तो प्रदर्शनकारियों ने कहा कि दिल्ली पुलिस लिखित में आश्वासन दे।
उन्होंने कहा कि सुरक्षा को लेकर हमें भरोसा नहीं है और अगर कुछ घटना होती है तो कमिश्नर से लेकर बीट कॉन्स्टेबल को जिम्मेदार माना जाए और बर्खास्त किया जाए। साधना रामचंद्रन ने कहा, "एक बात बतायें दूसरी तरफ की सड़क किसने घेरी है?" तो प्रदर्शनकारियों की तरफ से आवाज आई हमने नहीं घेरी। इसके बाद वार्ताकार रामचंद्रन ने कहा कि अच्छा आप ये कहना चाहती हैं कि सड़क पुलिस ने घेरी है आपने नहीं!
इसके बाद एक प्रदर्शनकारी ने कहा कि जब पुलिस ने सड़क ही आगे से बंद कर रखी है तो हमने इसे फिर अपनी सुरक्षा की वजह से बंद कर दी। वार्ताकार साधना ने अपनी बात तो आगे बढ़ाते हुए कहा कि अगर पुलिस के द्वारा बंद रास्ते खुल जाएंगे तो क्या रास्ते की दिक्कतें खत्म हो जाएगी? तो प्रदर्शनकारियों की तरफ से कहा गया कि पुलिस द्वारा बंद रास्ते खुलते हैं तो रास्ते का समाधान निकल जाएगा।
शाहीनबाग में प्रदर्शनकारियों से वातार्कार रामचंद्रन ने सवाल पूछते हुए कहा कि क्या आप मानते हैं कि हम सब नागरिक हैं और क्या आप मानते हैं कि संविधान में हम सबका हक है तो फिर हल भी हम सबको मिलकर निकालना चाहिए। उन्होंने आगे सवाल करते हुए पूछा कि क्या यह रास्ता खुलना नहीं चाहिए? आपकी आवाज भी बुलंद और बरकरार रहनी चाहिए। एक छोटा सा हल हमें निकालना है कि रोड भी खुल जाए जिससे लोग रोड इस्तमाल कर सकें।
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