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Hindi News भारत राष्ट्रीय पहले सर्जिकल स्ट्राइक की इनसाइड स्टोरी, इस तरह लिया था 18 सैनिकों की मौत का बदला

पहले सर्जिकल स्ट्राइक की इनसाइड स्टोरी, इस तरह लिया था 18 सैनिकों की मौत का बदला

म्यांमार में आज भारतीय सेना की तरफ से दूसरा सर्जिकल स्ट्राइक किया गया है जिसमें बड़े पैमाने पर नगा उग्रवादियों के कैंप को तबाह कर दिया गया। इससे पहले जून 2015 में भी भारतीय सेना की तरफ से म्यांमार की सीमा में दाखिल होकर उग्रवादियों के ठिकाने तबाह कि

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नई दिल्ली: म्यांमार में आज भारतीय सेना की तरफ से दूसरा सर्जिकल स्ट्राइक किया गया है जिसमें बड़े पैमाने पर नगा उग्रवादियों के कैंप को तबाह कर दिया गया। इससे पहले जून 2015 में भी भारतीय सेना की तरफ से म्यांमार की सीमा में दाखिल होकर उग्रवादियों के ठिकाने तबाह किए गए थे। सेना की यह कार्रवाई नगा उग्रवादियों के खिलाफ यह स्ट्राइक अपने ऊपर हुए हमले के बाद शुरू किया था। दरअसल 4 जून 2015 को मणिपुर के चंदेल जिले में नगा उग्रवादियों ने सेना के 6 डोगरा रेजिमेंट के काफिले पर हमला कर 18 जवानों की हत्या कर दी थी। भारतीय सेना ने इस नुकसान का बदला लेने का फैसला किया। सेना ने अपनी रणनीति बनानी शुरू कर दी।  ये भी पढ़ें:-Surgical Strike Live Update: म्यांमार बॉर्डर पर भारतीय सेना का बड़ा ऑपरेशन, आतंकी ठिकानों को किया तबाह

बताया जाता है कि इस रणनीति के पीछे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की भी अहम भूमिका था। सेना के पास यह खुफिया जानकारी थी कि हमले के बाद उग्रवादी म्यांमार सीमा में छिप गए हैं। इसके बाद सुनियोजित तरीके से भारतीय सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक करने का फैसला किया। भारतीय सेना के विशेष दस्ते ने इस ऑपरेशन का जिम्मा संभाला। इस दस्ते में सेना के 70 कमांडो शामिल थे। यह दस्ता भारत-म्यांमार सीमा पर इंटरनेशल बॉर्डर को क्रॉस कर म्यांमार में दाखिल हुआ और नगा उग्रवादियों के कैंप को नेस्तानबूत कर दिया। करीब 40 मिनट तक चले इस ऑपरेशन में भारतीय सेना ने करीब 100 नगा उग्रवादियों को मार गिराया था। 

 

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