रक्षा मंत्री निर्मला सीतारामन ने 'आप की अदालत' में कहा, 'राफेल की हथियार प्रणाली की जानकारी लीक होने से पाक और चीन को मदद मिल सकती है'
रक्षा मंत्री निर्मला सीतारामन ने हथियारों से लैस राफेल विमान की वास्तविक कुल कीमत का खुलासा करने से इनकार किया और कहा, 'हथियार प्रणाली की जानकारी लीक होने से अंतत: पाकिस्तान और चीन को मदद मिल सकती है'
नई दिल्ली: रक्षा मंत्री निर्मला सीतारामन ने हथियारों से लैस राफेल विमान की वास्तविक कुल कीमत का खुलासा करने से इनकार किया और कहा, 'हथियार प्रणाली की जानकारी लीक होने से अंतत: पाकिस्तान और चीन को मदद मिल सकती है' आज रात इंडिया टीवी पर प्रसारित शो 'आप की अदालत' में वह रजत शर्मा के सवालों का जवाब दे रही थीं। सीतारामन से जब यह पूछा गया कि वह क्यों नहीं प्रत्येक राफेल विमान की पूरी कीमत बता देती हैं जिसकी मांग कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, 'वो किसके लिए परेशान हैं? ये इंफो लीक (राफेल विमान में लैस हथियार प्रणाली) करके वह किनकी मदद करनेवाले हैं?.. पाकिस्तान?.. चाइना?.. भारत पर बुरी नजर रखनेवालों की?.. ये करना है क्या?.. देश की सबसे पुरानी पार्टी के अध्यक्ष विपक्ष में बैठकर बार-बार ये कहते हैं तो मुझे दुख होता है।'
फ्रांस के साथ हुए राफेल सौदे की जानकारी देते हुए सीतारामन ने कहा,' राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के लिए 2007 में यूपीए के शासनकाल में बातचीत शुरू हुई और वे पांच सालों तक इसे ठंडे बस्ते रखे रहे। दिसंबर 2011 या जनवरी 2012 में यह ऐलान किया गया कि प्रत्येक राफेल एयरक्राफ्ट की बेसिक कीमत 520 करोड़ रुपये होगी। अगर यूपीए सरकार ने 2012 में इन विमानों को इस मूल्य पर खरीदा होता तो पहले 18 फ्लाईवे एयरक्राफ्ट 2015 या 2016 तक आ जाते। तबतक तीन फीसदी लागत वृद्धि लागू हो गई और 2015-16 में प्रत्येक एयरक्राफ्ट की कीमत बढ़कर 738 करोड़ रुपये हो गई।
हमारा यह कहना है कि हम जो 36 राफेल विमान खरीद रहे हैं वह 9 फीसदी सस्ता है। और कृपया यह नोट कर लें कि बेसिक कीमत में केवल एयरक्राफ्ट की कीमत होती है जिसमें पायलट सीट, उड़ान भरने और लैंडिंग के उपकरण होते हैं। रडार, सेंसर्स और अन्य हथियार प्रणाली से लैस होने के बाद कि कोई विमान युद्ध के लिए पूरी तरह से तैयार माना जाता है।'
हम पहले ही संसद में अपने लिखित जवाब में राफेल विमान की बेसिक कीमत बता चुके हैं। लेकिन राहुल गांधी राफेल विमान के बेसिक मूल्य की तुलना उसके अंतिम मूल्य से कर रहे हैं जिसे वह करीब 1600 करोड़ मानते हैं। मुझे नहीं मालूम वो ये आंकड़े कहां से लाते हैं। एक बच्चा भी इसे समझ सकता है। उन्हें बेसिक मूल्य की तुलना करनी चाहिए।'
यह पूछे जाने पर कि राहुल गांधी क्यों यह आरोप लगाते रहे कि पहले आपने राफेल की फाइनल प्राइस बताने का वादा किया था लेकिन बाद में इससे मुकर गईं, सीतारामन ने कहा, 'नवंबर 2017 में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान एक पत्रकार ने मुझसे कीमत के बारे पूछा था। मैंने उससे कहा कि वह रक्षा सचिव से इसके बारे में बात करे। रक्षा सचिव ने उसे अपने कमरे में बुलाया और उसे पूरा ब्यौरा दिया। लेकिन सरकार पहले ही नवंबर 2016 में संसद में रक्षा मंत्री डॉ. भामरे द्वारा एक लिखित जवाब में बेसिक मूल्य का खुलासा कर चुकी थी। हमने जनवरी 2018 में संसद में दो बार कीमत बताई। लगता है राहुल गांधी संसद के पत्रों को ठीक से नहीं पढ़ते।'
राहुल गांधी के इन आरोपों पर कि राफेल विमान के निर्माण को लेकर अनिल अंबानी की कंपनी को तरजीह देते हुए सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड की अनदेखी की गई, रक्षा मंत्री ने कहा, एचएएल पर पहले से ही काम का बोझ था और उसकी उत्पादन क्षमता कम थी।
‘यूपीए के शासनकाल में 2004 से 2014 के दौरान सरकार HAL को हर साल 10,000 करोड़ रुपये के ऑर्डर दिया करती थी, हमारी सरकार ने हर साल HAL को 22,000 करोड़ रुपये के ऑर्डर दिए। यूपीए की सरकार ने HAL को 40 लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट तेजस बनाने का ऑर्डर दिया था, जिसमें से सिर्फ 8 ही बन पाए हैं। तेजस युद्धक विमान अच्छे और काफी कारगर हैं, लेकिन इसकी निर्माण क्षमता को बढ़ाने का आदेश प्रधानमंत्री के द्वारा दिया जाना है। हम HAL को 83 और लाइट कॉम्बैट एयरक्रॉफ्ट बनाने का ऑर्डर देने जा रहे हैं।’
सीतारामन ने साफ किया कि अनिल अंबानी की कंपनी और दसॉल के बीच हुई कोई भी डील सरकारों के बीच हुए समझौते से अलग है। उन्होंने कहा, ‘ऑफसेट के काम व्यावसायिक फैसलों के अंतर्गत आते हैं और IGA में किसी भी कंपनी का नाम नहीं लिया गया है। हम मैचमेकिंग नहीं कर रहे हैं, हम सरकार चला रहे हैं।’
रक्षा मंत्री ने कांग्रेस के उस आरोप को ‘सफेद झूठ’ करार दिया जिसमें कहा गया था कि राफेल डील से पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल की सुरक्षा संबंधी समिति (CCS) से मंजूरी नहीं ली गई थी। सीतारामन ने कहा, ‘सरासर झूठ है। प्रधानमंत्री 2015 में पेरिस की यात्रा पर गए थे, जहां मेमोरेंडम ऑफ इंटेरेस्ट पर दस्तखत हुए। इसके लिए सीसीएस अप्रूवल की कोई जरूरत नहीं थी। कीमतें तय होने के बाद ही इंटर-गवर्नमेंटल अग्रीमेंट पर सितंबर 2016 में दस्तखत हुए, और इसके लिए उसी साल अगस्त में सीसीएस से अंतिम स्वीकृति ली गई थी।’
उन्होंने कहा कि भारतीय वायुसेना की स्क्वॉड्रन्स की संख्या 42 से घटकर 33 रह गई है, और यही वजह है कि डील काफी तेजी से हुई। रक्षामंत्री ने कहा ’10 साल तक वे फाइलों पर बैठे रहे और कुछ नहीं किया। अब जब हमने भारतीय वायुसेना की ऑपरेशनल क्षमता में बढ़ोतरी के लिए 36 राफेल विमान खरीद लिए हैं तब वे कह रहे हैं कि हमने देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ किया है। इस देश की सुरक्षा के साथ असल में खिलवाड़ किसने किया है?’
उन्होंने कहा कि डिफेंस ऐक्विजिशन काउंसिल ने हथियारों के अधिग्रहण से जुड़े सारे अटके प्रस्तावों को काफी तेजी से निपटाया, और कोई भी प्रस्ताव अटका हुआ नहीं था। उन्होंने कहा, ‘हम ‘10i’ के बेहद करीब थे, यानी कि 10 दिन के भीषण युद्ध की क्षमता के। यूपीए के शासनकाल के समय, दो या तीन मुख्य हथियारों का अधिग्रहण किया गया था। अधिग्रहण की प्रक्रिया पहले मनोहर पर्रिकर और फिर अरुण जेटली के आने के बाद तेज हुई।’
भारत-पाकिस्तान के रिश्तों पर सीतारामन ने कहा, ‘जब तक पाकिस्तान आतंकवाद पर लगाम नहीं लगाता तब तक कोई बातचीत नहीं हो सकती। यदि पाकिस्तान बातचीत चाहता है तो उसे आतंकवाद को प्रोत्साहन देना बंद करना होगा। वर्तमान हालात में बातचीत का कोई फायदा ही नहीं है। इस वक्त हालात डेलिकेटली बैलेंस्ड है।’
भारत और पाकिस्तान के सेनाध्यक्षों के बातचीत की संभावना को लेकर मीडिया रिपोर्ट्स के बारे में पूछे जानेपर सीतारामन ने कहा, 'वो शायद कोशिश करेंगे.. हमारा रवैया स्पष्ट है.. जबतक टेरररिज्म को कंटेन नहीं करेंगे तबतक बातचीत नहीं होगी..। हमें यह देखना होगा कि यह कैसे आगे बढ़ता है।'
उन्होंने दावा किया कि 'कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर सेना पूरी तरह से मुस्तैद और पूरे कंट्रोल में है। हम बिल्कुल जवाब दे रहे हैं.. मैं गर्व के साथ नहीं बल्कि जिम्मेदारी के साथ कह रही हूं कि हम सक्षम है..टॉप में हैं.. पूरे कंट्रोल में हैं।'
रजत शर्मा द्वारा यह पूछने पर कि पाक अधिकृत कश्मीर को फिर से प्राप्त करने की सरकार की योजना कब है, उन्होंने कहा, काश मैं विशेष रूप से इसपर कुछ कह सकती। लेकिन इच्छा तो है, सबकी (देशवासियों) इच्छा है।'
बीजेपी नेताओं द्वारा सत्ता में आने पर 'दो सिर के बदले 10 सिर' लाने के दावे के बारे में पूछे जाने पर सीतारामन ने कहा, 'कट तो रहे हैं, डिसप्ले नहीं कर रहे हैं।'
भारत-चीन संबंधों पर रक्षा मंत्री ने यह स्वीकार किया कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अतिक्रमण होते हैं। इसकी वजह है वास्तविक नियंत्रण रेखा का अधिकांश भाग अभी चिन्हित होना बाकी है। कुछ धारणाओं (परसेप्शन) की वजह से उत्तेजना की स्थिति बन जाती है लेकिन अभी तक एक भी गोली नहीं चली है।'
डोकलाम मु्द्दे पर उन्होंने कहा, 'हमारी विदेश मंत्री सुषमा जी ने संसद में जो बातें दो बार कहीं हैं मैं उसे दोहराना चाहूंगी। द पोजिशन (डोकलाम में) रिमेंस द सेम ऑफ्टर दे फेस ऑफ।'
रजत शर्मा के शो 'आप की अदालत' में निर्मला सीतारामन का प्रसारण आज रात 10 बजे इंडिया टीवी पर हुआ। इस कार्यक्रम को रविवार सुबह 10 बजे और रात 10 बजे फिर से प्रसारित किया जाएगा।