EXCLUSIVE: होली पर रेल में लूट का खेल, जुर्माने के लिए रिजर्व बोगी बना दी 'जनरल'
इस आदेश से पेनाल्टी लगाकर जनरल क्लास के टिकट को स्लीपर क्लास के टिकट में तब्दील करने से सबसे ज्यादा दिक्कत उन लोगों को हो रही है जिन्होंने कन्फर्म टिकट लिया है और जब वो कोच में आते हैं तो उन्हें अपनी ही सीट पर बैठने के लिए धक्का मुक्की करनी पड़ती है।
नई दिल्ली : रेलवे विभाग के एक टारगेट को पूरा करने के लिये इन दिनों टीटीई यानी टिकट चेकर जी जान से जुटे हुए हैं। उनका लक्ष्य है रेल के यात्रियों से 2000 करोड़ रूपये का जुर्माना वसूलना। जुर्माना वसूली का टिकट चेकर स्टाफ़ पर इस कदर दबाव है कि वो खुद रेलवे के नियमों को ताक पर रखकर वसूली अभियान में जुटे हुए हैं। 2000 करोड़ के इस वसूली अभियान की इंडिया टीवी की टीम ने अहमदाबाद और सूरत में तहक़ीक़ात की। यहां से लंबी दूरी की रेलगाड़ियों में TT अपने टारगेट को हासिल करने के लिए खुद रेल के ही बनाये नियमों को ताक पर रखते नज़र आये। यात्रियों से सरेआम और बेरोकटोक पेनाल्टी के नाम पर टिकिट काटे जा रहे थे।
यात्रियों ने रेलों के अंदर बताया कि टिकट चेकर्स पेनाल्टी के साथ उनके जनरल क्लास के टिकट को स्लीपर क्लास के टिकट में बना रहे हैं। कई रेल यात्रियों ने कहा, उनका टिकट बनाने, उनकी ऊंची क्लास के डिब्बों में भेजने या सीट देने के नाम पर तीन गुना अधिक तक पैसे वसूले जा रहे हैं। असल में इस वसूली के पीछे रेलवे विभाग का 31 जनवरी को जारी किया गया आदेश है। इसमें इस वित्तीय वर्ष में यात्रियों से जुर्माने तौर पर 2000 करोड़ वसूलने का टारगेट दिया गया है। इसमें अलग-अलग ज़ोन के हिसाब से जुर्माना वसूले जाने का लक्ष्य है। इस आदेश के हिसाब से टिकट चैक करने वाले कर्मचारियों को हर महीने के हिसाब से लाखों की वसूली का आदेश जारी किया गया है।
टारगेट पूरा न करने वाले कर्मचरियों के खिलाफ कार्रवाही की बात भी कही गई है इसलिए टिकटों की जांच करने वाले कर्मचारी इस टारगेट को पूरा करने के लिये ग़ैर क़ानूनी तरीके तक अपना रहे हैं। रेल में जगह है या नहीं, 2000 करोड़ का टारगेट पूरा करने के लिये इस बात का भी ध्यान नहीं रखा जा रहा। रिज़र्व क्लास में सफ़र करने वालों को भी भारी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। टीटीई टारगेट पूरा करने के लिये जनरल क्लास के टिकट को बड़ी क्लास के टिकट में बदल रहे हैं। भले ही जगह हो या नहो हो। बदले में यात्रियों से पेनाल्टी वसूल रहे हैं और पेनाल्टी को फाइन के तौर पर दिखाया जा रहा है।
रेलवे के टारगेट को पूरा करने के इस खेल में सबसे ज़्यादा बेरहमी ग़रीब यात्रियों के साथ हो रही है। वो त्यौहार के समय या ज़रूरी कामों से अंतिम समय में जनरल टिकट लेकर यात्रा करते हैं लेकिन टीटी साहब उन्हें स्लीपर क्लास या रिज़र्व क्लास के डिब्बे में भेजकर अपना टारगेट पूरा कर रहे हैं और जनरल बोगियों के यात्री रिज़र्वेशन के डिब्बों में भी खड़े होकर यात्रा कर रहे हैं।
इस आदेश से पेनाल्टी लगाकर जनरल क्लास के टिकट को स्लीपर क्लास के टिकट में तब्दील करने से सबसे ज्यादा दिक्कत उन लोगों को हो रही है जिन्होंने कन्फर्म टिकट लिया है और जब वो कोच में आते हैं तो उन्हें अपनी ही सीट पर बैठने के लिए धक्का मुक्की करनी पड़ती है। जिन स्थानों पर जाने वाले यात्रियों की संख्या ज़्यादा है उन जगहों के लिये रेलवे प्रशासन को एक्सट्रा गाड़ियां चलाना चाहिये लेकिन 2000 करोड़ का टारेगट पूरा करने में वयस्त वेस्टर्न रेलवे को इसकी फुरसत कहां हैं। खुलेआम पेनाल्टी वसूले जाने का काम चल रहा है और नतीजा वो यात्री भुगत रहे हैं जिनके पास कन्फर्म या वेटिंग लिस्ट का टिकट है।
इस टारगेट को पाने के लिये रेलवे के टिकट चैकर भी भारी दबाव में है। पिछले दो महीने से उनपर दबाव बेहद बढ़ गया है। हर टीटीई को महीने के हिसाब से विभाग को अपने टारगेट का परफॉरमेंस दिखाना है ऐसे में पेनाल्टी और फाइन के टिकट काटे जाने का सिलसिला तेज़ हो गया है। टिकट चैकर कहते हैं, टारगेट पूरा ना किये जाने की सूरत में उन्हें चेतावनी दी जा रही है और विभागीय कार्रवाही की जा रही है। वहीं रेलवे के अधिकारी टिकिट चेकर पर टारगेट के लिये दबाव डाले जाने या एक्शन लिये जाने की बात से साफ़ इनकार कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह एक सामान्य प्रक्रिया है। हर साल टारगेट तय किया जाता है लेकिन इसके लिये किसी पर दबाव नहीं डाला जाता।