नयी दिल्ली। लॉकडाउन के दौरान अधिक से अधिक प्रवासियों को घर पहुंचाने के प्रयास में रेलवे ने अब ‘श्रमिक विशेष’ गाड़ियों में 1200 की जगह 1700 यात्रियों को भेजने का निर्णय किया है और तीन स्थानों पर इन ट्रेनों का ठहराव होगा। रेलवे की ओर से जारी आदेश में, रेलवे जोनों को संबंधित राज्यों में गंतव्य के अलावा तीन जगहों पर गाड़ियों के ठहराव के लिये कहा गया है । राज्य सरकारों के आग्रह पर यह निर्णय किया गया है। इसमें यह भी कहा गया है कि ट्रेन में यात्रियों को ले जाने की क्षमता उसमें मौजूद शयनयान कोच के सीटों की संख्या के बराबर होनी चाहिये।
रेलवे के इस आदेश से एक दिन पहले रेल मंत्री पीयूष गोयल ने सभी राज्यों से उदारतापूर्वक मंजूरी देने की अपील की थी, मंत्री की अपील खास तौर से उन राज्यों के लिये थी, जिन्होंने बहुत कम ट्रेनों की अनुमति दी थी। प्रवासी श्रमिकों के लिये ट्रेनों को मंजूरी देने के मामले पर गृह सचिव की मुख्य सचिवों के साथ रविवार को हुयी वीडियो कांफ्रेंस में भी चर्चा हुयी थी। इससे पहले गृह मंत्री अमित शाह ने भी पश्चिम बंगाल सरकार से इन ट्रेनों को तत्काल मंजूरी दिये जाने की अपील की थी। श्रमिक विशेष गाड़ियों में 24 डब्बे हैं और प्रत्येक डब्बे में 72 यात्रियों को ले जाने की क्षमता है। सामाजिक मेल जोल से दूरी के प्रोटोकॉल का पालन करने के लिये वर्तमान में प्रत्येक डब्बे में 54 यात्रियों को लेकर ले जाया जा रहा है।
भरतीय रेल ने एक मई से अब तक 468 ट्रेनों के माध्यम से पांच लाख से अधिक यात्रियों को उनके गंतव्य तक पहुंचाया है। अब तक बिहार ने सबसे अधिक 100 ट्रेनों को मंजूरी दी है और सबसे अधिक प्रवासी श्रमिकों को वापस बुलाया है जबकि पश्चिम बंगाल ने केवल दो ट्रेनों को मंजूर किया है जबकि आठ और गाड़ियों को अनुमति मिलने की संभावना है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस कदम के बारे में जानकारी देते हुए बताया, 'रेलवे के पास रोजाना 300 ट्रेनें चलाने की क्षमता है और हम इसे ज्यादा से ज्यादा बढ़ाना चाहते हैं। अगले कुछ दिनों में हम चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा संख्या में प्रवासी श्रमिकों को उनके घरों तक पहुंचाया जाए। और इसके लिए हमने राज्यों से मंजूरी भेजने को कहा है।'
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