नई दिल्ली: ट्रेनों में कंबलों के गंदे होने की शिकायतों से परेशान भारतीय रेलवे ने कंबलों के ज्यादा बार धुलने और मौजूदा कंबलों को चरणबद्ध तरीके से डिजाइनर एवं हल्के कंबलों से बदलने के लिए एक कार्य योजना तैयार की है।
इसके अलावा इस्तेमाल किए हुए कंबलों को फिर से इस्तेमाल किए जाने से पहले नियमित रूप से साफ किया जाएगा। यद्यपि कंबलों को हर एक या दो महीने के भीतर धोने का निर्देश है, लेकिन हाल में कैग की एक रिपोर्ट में कंबलों की दयनीय हालत को रेखांकित किया गया जो यहां तक कि छह महीने से नहीं धुले थे। हालांकि, अब जल्द ही ट्रेनों में बदबूदार कंबल गुजरे समय की बात हो सकते हैं।
रेलवे ने राष्ट्रीय फैशन डिजाइन संस्थान निफ्ट को कम ऊन वाले हल्के कंबल बनाने का काम सौंपा है। पतले, सामान्य पानी से धुलने लायक कंबलों का परीक्षण भी मध्य रेलवे जोन में पायलट परियोजना के तौर पर किया जा रहा है।
रेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, हमारा लक्ष्य ट्रेनों में हर यात्रा के दौरान साफ लिनन के साथ धुले हुए कंबल मुहैया कराना है। फिलहाल लिनन के 3.90 लाख सेट रोजाना मुहैया कराए जाते हैं। इनमें दो चादर, एक तौलिया, तकिया और कंबल शामिल है, जो वातानुकूलित डिब्बों में हर यात्री को दिए जाते हैं।
उन्होंने बताया कि कंबलों को अधिक धोने और मौजूदा कंबलों को चरणबद्ध तरीके से नए हल्के एवं मुलायम कपड़े से बने कंबलों से बदलने की योजना बनाई गई है। अधिकारी ने बताया कि कुछ खंडों में कंबलों के कवर बदलने का काम शुरू कर दिया गया है और कंबलों को अब एक माह की जगह 15 दिन और एक सप्ताह में धोने का काम शुरू किया जा रहा है।
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