नई दिल्ली. कोरोनावायरस महामारी के खिलाफ लड़ाई में पिछले एक महीने में तैयारी का सूचकांक (इंडेक्स ऑफ रेडीनेस) तेजी से बढ़ा है, आत्मसंतुष्टि का सूचकांक नीचे चला गया है, जबकि महामारी से निपटने के लिए सरकारों के प्रयासों में लोगों का विश्वास न केवल ठोस बना हुआ है, बल्कि अप्रूवल (अनुमोदन) रेटिंग में वृद्धि जारी है।
आईएएनएस/सी-वोटर के सर्वे में गुरुवार को यह बात सामने आई। 16 मार्च से 20 अप्रैल के बीच किए गए इस सर्वे में इंडेक्स ऑफ रेडीनेस के माध्यम से पता चला है कि आगे की योजना बनाने वाले लोगों की संख्या में वृद्धि हुई है। वह राशन, दवाइयों और इनकी खरीद के लिए अलग से धन रख रहे हैं।
सर्वे में 20 अप्रैल तक 42.9 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने 3 सप्ताह से अधिक समय तक राशन और दवाओं का स्टॉक किया है, जबकि 2 सप्ताह से कम वाले लोगों की संख्या अभी भी 56.9 प्रतिशत से अधिक हैं। हालांकि, 4,718 व्यक्तियों के नमूने के आकार वाले सर्वेक्षण में एक हफ्ते से भी कम समय के लिए तैयारी करने वालों की संख्या केवल 12.1 प्रतिशत है।
16 मार्च को तीन सप्ताह से कम राशन रखने वाले लोगों की संख्या 90 प्रतिशत थी और लगभग तीन सप्ताह से अधिक राशन किसी के पास नहीं था। वहीं, अब विशेष रूप से अप्रैल में लॉकडाउन के विस्तार की घोषणा के बाद के समय लगभग हर दिन यह संख्या बढ़ रही है।
इंडेक्स ऑफ पैनिक की बात करें तो 20 अप्रैल तक के आंकड़े बताते हैं कि 41.1 प्रतिशत उत्तरदाताओं को ऐसा लगाता है कि उनके परिवार में किसी को भी यह महामारी हो सकती है। वहीं, 56.3 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने इससे इतर कहा कि उन्हें या उनके परिजनों को यह वायरस प्रभावित नहीं करेगा। सर्वे की शुरुआत में पहले कुल 35.1 प्रतिशत को लगता था कि उन्हें संक्रमण हो सकता है।
ट्रैकर में सबसे कंसिस्टेंट रीडिंग ट्रस्ट इन द गवर्नमेंट इंडेक्स पर आई है। देश में 93.5 फीसदी लोगों का मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार कोरोनावायरस महामारी के प्रकोप को प्रभावी ढंग से संभाल रही है और इससे अच्छे से निपट लेगी। केंद्र सरकार ने कोरोनावायरस संक्रमण की रोकथाम के मद्देनजर 25 मार्च को लागू किए गए राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की अवधि को 15 अप्रैल के बाद भी संभावित चुनौतियों को देखते हुए 3 मई तक के लिए बढ़ा दिया था।
आईएएनएस/सी-वोटर कोविड-19 ट्रैकर (सर्वे) के अनुसार, मोदी सरकार महामारी के प्रकोप की स्थिति को प्रभावी ढंग से संभाल रही है। लॉकडाउन के पहले दिन इस बात को लेकर विश्वास रखने वाले लोगों की कुल संख्या 76.8 प्रतिशत थी, जबकि वर्तमान में 21 अप्रैल तक यह आंकड़ा बढ़कर 93.5 प्रतिशत हो गया है।
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