नयी दिल्ली: अच्छे दिन का नारा देने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर के बुरे दिन ला दिए। पहले पाकिस्तान में उसके आतंकी ठिकानों पर एयर स्ट्राइक किया और अब संयुक्त राष्ट्र से उसपर प्रतिबंध लगवा कर जहां एक ओर पाकिस्तान को बेपर्दा कर दिया वहीं जैश सरगना के मंसूबों पर पानी फेर दिया। खास बात ये रही कि 10 साल तक मसूद अजहर का बचाव करने वाले चीन ने भी अबकी बार सरेंडर कर दिया।
मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र के द्वारा वैश्विक आतंकवादी घोषित किए जाने पर भारतीय कूटनीतिज्ञों ने भी प्रशंसा की है पर साथ ही यह शंका भी प्रकट की है कि इससे क्या आतंकवाद को एक नीति के तौर पर अपनाने वाले पाकिस्तान पर उसे त्यागने का दबाव बनेगा।
भारत को उस समय बड़ी राजनयिक विजय हासिल हुई जब बुधवार को संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध समिति ने अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित कर दिया। इससे पहले चीन ने उसे प्रतिबंधित करने वाले प्रस्ताव पर लगी रोक को हटा लिया।
अजहर पर प्रतिबंध लगने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये, पूर्व विदेश सचिव सलमान हैदर ने कहा कि वह इसे एक ‘‘पक्ष में उठे बहुत बड़े कदम’’ के रूप में देखते हैं। उन्होंने कहा कि भारत पिछले कुछ समय से इसकी कोशिश कर रहा था। चीन इसमें रोड़े अटका रहा था और भारत बार बार इसका प्रयास कर रहा था।
पाकिस्तान में भारत के पूर्व उच्चायुक्त गोपालस्वामी पार्थसारथी इसे ‘‘बहुत बड़ी सफलता’’ के रूप में देखते हैं। उन्होंने कहा, “इससे पाकिस्तान निश्चित रूप से अलग-थलग पड़ेगा। यह सवाल भी है कि क्या (पाकिस्तानी) सेना आतंकवाद का राजकीय नीति के एक तंत्र को तौर पर इस्तेमाल करना बंद करेगी।”
राजदूत विष्णु प्रकाश ने कहा है कि यह अच्छा कदम है लेकिन हमें बहुत खुश नहीं होना चाहिये क्योंकि वैश्विक आतंकवादी हाफिज सईद जैसे आतंकवादी खुले आम घूम रहे हैं। पुलवामा का गुनहगार फिलहाल पाकिस्तान के सेफहाउस में है। चीन ने चार बार आतंकी मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित नहीं होने दिया लेकिन आखिरकार मोदी की कोशिशें रंग लाई और अब मसूद पर शिकंजा कस चुका है।
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