चरणबद्ध तरीके से हट रही हैं भारत और चीन की सेनाएं: सेना प्रमुख ने पूर्वी लद्दाख के विवाद पर कहा
थलसेना अध्यक्ष जनरल एम एम नरवणे ने शनिवार को कहा कि पूर्वी लद्दाख के विवाद पर भारत और चीन के बीच सैन्य वार्ता बहुत लाभदायक रही है और दोनों सेनाएं चरणद्ध तरीके से हट रही हैं जिसकी शुरुआत गलवान घाटी से हो रही है।
देहरादून: थलसेना अध्यक्ष जनरल एम एम नरवणे ने शनिवार को कहा कि पूर्वी लद्दाख के विवाद पर भारत और चीन के बीच सैन्य वार्ता बहुत लाभदायक रही है और दोनों सेनाएं चरणद्ध तरीके से हट रही हैं जिसकी शुरुआत गलवान घाटी से हो रही है। उनके इस बयान से क्षेत्र से सैनिकों की परस्पर वापसी की पहली आधिकारिक पुष्टि हुई है। थलसेना प्रमुख ने यह भी कहा कि चीन के साथ लगती देश की सीमा पर स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है। उन्होंने विश्वास जताया कि दोनों देशों के बीच जारी वार्ता से सीमा के संबंध में समझे जाने वाले सभी मतभेद सुलझ जाएंगे। जनरल नरवणे यहां भारतीय सैन्य अकादमी की पासिंग आउट परेड से इतर संवाददाताओं से बात कर रहे थे।
उन्होंने कहा, ‘‘दोनों पक्ष चरणबद्ध तरीके से हट रहे हैं। हमने उत्तर से, गलवान नदी के क्षेत्र से इसकी शुरुआत की है। हमारी बहुत सार्थक बातचीत हुई। और जैसा कि मैंने कहा कि यह जारी रहेगी तथा आगे हालात सुधरेंगे।’’ भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग सो, गलवान घाटी, डेमचोक और दौलत बेग ओल्डी में पांच सप्ताह से अधिक समय से गतिरोध की स्थिति बनी हुई है। चीनी सेना के जवान बड़ी संख्या में पैंगोंग सो समेत अनेक क्षेत्रों में सीमा के भारतीय क्षेत्र की तरफ घुस आए थे। भारतीय सेना वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के उल्लंघन की इन घटनाओं पर कड़ी आपत्ति व्यक्त करती रही है और उसने क्षेत्र में अमन-चैन की बहाली के लिए चीनी सैनिकों की तत्काल वापसी की मांग की है। दोनों पक्षों ने पिछले कुछ दिन में विवाद सुलझाने के लिए श्रृंखलाबद्ध बातचीत की है।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं सभी को आश्वस्त करना चाहूंगा कि चीन के साथ हमारी सीमाओं पर स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है। हम श्रृंखलाबद्ध बातचीत कर रहे हैं जो कोर कमांडर स्तर की वार्ता से शुरू हुई थी जिसके बाद स्थानीय स्तर पर समान रैंक के कमांडरों के बीच बैठक हुई।’’ थलसेना प्रमुख ने कहा, ‘‘परिणामस्वरूप काफी हद तक दोनों पक्ष एक-दूसरे के साथ गतिरोध से अलग हुए हैं और हमें उम्मीद है कि सतत बातचीत से हम अपने बीच माने जाने वाले सभी मतभेदों को सुलझा लेंगे।’’
सैन्य सूत्रों ने मंगलवार को दावा किया था कि दोनों सेनाओं ने गलवान घाटी में गश्त बिंदु 14 और 15 के आसपास से तथा हॉट स्प्रिंग क्षेत्र से हटना शुरू कर दिया है। सूत्रों का कहना है कि चीनी पक्ष दोनों क्षेत्रों में डेढ़ किलोमीटर तक पीछे हट गया है। हालांकि विदेश मंत्रालय या रक्षा मंत्रालय ने अभी तक इस संबंध में प्रश्नों का उत्तर नहीं दिया है। हालात पर नजर रख रहे लोगों का कहना है कि अभी तक इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि चीनी सैनिक गलवान घाटी और हॉट स्प्रिंग में एलएसी के भारतीय क्षेत्र से वापस हो गए हैं।
विवाद को समाप्त करने के लिए पहले गंभीर प्रयास के तहत लेह स्थित 14वीं कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग, लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह और तिब्बती सैन्य जिले के कमांडर मेजर जनरल लिऊ लिन ने छह जून को करीब सात घंटे तक वार्ता की थी। इसके बाद बुधवार और शुक्रवार को मेजर जनरल स्तर की वार्ता हुई। दोनों बार भारतीय पक्ष ने यथास्थिति बहाल करने और इलाकों से हजारों चीनी सैनिकों की तत्काल वापसी पर जोर दिया था। भारत इस क्षेत्र को एलएसी का अपना क्षेत्र मानता है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को पूर्वी लद्दाख में तथा सिक्किम, उत्तराखंड और अरुणाचल प्रदेश में वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास अन्य कई संवेदनशील इलाकों में समग्र सैन्य तैयारियों की समीक्षा की। सूत्रों ने बताया कि पूर्वी लद्दाख में गतिरोध के बाद दोनों पक्षों ने पिछले कुछ दिन में उत्तरी सिक्किम, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और अरुणाचल प्रदेश में एलएसी पर अतिरिक्त सैनिकों को तैनात किया है। पिछले महीने की शुरुआत में गतिरोध शुरू होने के बाद भारतीय सैन्य नेतृत्व ने फैसला किया था कि भारतीय सैनिक पैंगोंग सो, गलवान घाटी, डेमचोक तथा दौलत बेग ओल्डी के सभी विवादित क्षेत्रों में चीनी सैनिकों के आक्रामक अंदाज से निपटने के लिए कड़ा रुख अपनाएंगे।
चीनी सेना एलएसी के पास धीरे-धीरे अपना रणनीतिक भंडार बढ़ाती रही है और उसने वहां तोपें एवं अन्य भारी सैन्य उपकरण पहुंचाए हैं। मौजूदा गतिरोध के शुरू होने की वजह पैंगोंग सो झील के आसपास फिंगर क्षेत्र में भारत के एक महत्वपूर्ण सड़क निर्माण का चीन द्वारा किया जा रहा तीखा विरोध है। इसके अलावा गलवान घाटी में दारबुक-शयोक-दौलत बेग ओल्डी को जोड़ने वाली एक और सड़क के निर्माण पर भी चीन विरोध जता रहा है। पैंगोंग सो में फिंगर क्षेत्र में सड़क को भारतीय जवानों के गश्त करने के लिहाज से अहम माना जाता है।
भारत ने पहले ही तय कर लिया है कि चीनी विरोध की वजह से वह पूर्वी लद्दाख में अपनी किसी सीमावर्ती आधारभूत परियोजना को नहीं रोकेगा। दोनों देशों के सैनिक गत पांच और छह मई को पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग सो क्षेत्र में आपस में भिड़ गए थे। इस घटना में दोनों पक्षों के सैनिक घायल हुए थे। इस झड़प में भारत और चीन के करीब 250 सैनिक शामिल थे। इसी तरह की एक अन्य घटना में नौ मई को उत्तरी सिक्किम सेक्टर में नाकू ला दर्रे के पास लगभग 150 भारतीय और चीनी सैनिक आपस में भिड़ गए थे।