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Hindi News भारत राष्ट्रीय अंग्रेज़ी के गढ़ में हिन्दी साहित्य का सम्मान, भारतीय मूल के ब्रिटिश हिंदी लेखक तेजेन्द्र शर्मा को अंतर्राष्ट्रीय सम्मान

अंग्रेज़ी के गढ़ में हिन्दी साहित्य का सम्मान, भारतीय मूल के ब्रिटिश हिंदी लेखक तेजेन्द्र शर्मा को अंतर्राष्ट्रीय सम्मान

ब्रिटेन में सत्तारूढ़ कंज़रवेटिव पार्टी के सांसद बॉब ब्लैकमैन ने कहा है कि तेजेन्द्र शर्मा ने अपने साहित्य लेखन के जरिए पिछले दो दशकों से विभिन्न समुदायों के बीच एकजुटता बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। वहीं मुख्य विपक्षी दल लेबर पार्टी के सांसद

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नई दिल्ली: हिंदी साहित्य के लिये वह पल अविस्मरणीय था जब भारतीय मूल के ब्रिटिश हिंदी लेखक तेजेन्द्र शर्मा को राजघराने के प्रिंस चार्लस ने "मेंबर ऑफ़ द ऑर्डर ऑफ़ द ब्रिटिश एम्पायर" सम्मान से अलंकृत किया। ब्रिटेन की प्रधानमंत्री टेरेज़ा मे की सिफ़ारिश पर महारानी एलिज़ाबेथ ने तेजेन्द्र शर्मा के नाम को इस सम्मान के लिए अपनी मंज़ूरी दी थी। तेजेन्द्र शर्मा यह सम्मान पानेवाले पहले भारतीय है जिन्हें हिंदी लेखन, हिंदी साहित्य की सेवा और सामुदायिक एकजुटता की  गतिविधियों के लिए यह सम्मान मिल रहा है। अलग अलग श्रेणियों में यह सम्मान ओम पुरी, सलमान रूशदी, वी. एस. नायपाल, विक्रम सेठ, अनीश कपूर आदि कई हस्तियों को मिल चुका है। भारत मे इन्हीं सम्मानों की तर्ज़ पर पद्म-सम्मान दिए जाते है।

ब्रिटेन में सत्तारूढ़ कंज़रवेटिव पार्टी के सांसद बॉब ब्लैकमैन ने कहा है कि तेजेन्द्र शर्मा ने अपने साहित्य लेखन के जरिए पिछले दो दशकों से विभिन्न समुदायों के बीच एकजुटता बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। वहीं मुख्य विपक्षी दल लेबर पार्टी के सांसद गैरेथ टॉमस का कहना है कि ब्रिटेन से प्रकाशित हिंदी की अकेली साहित्यिक पत्रिका "पुरवाई" के संपादक तेजेन्द्र शर्मा ने अपनी संस्थान "कथा यू के" के जरिए सामाजिक सौहार्द्र का बड़ा काम किया है।

लेबर पार्टी के ही एक दूसरे सांसद वीरेंदर शर्मा ने कहा है कि वे तेजेन्द्र शर्मा के साहित्यिक - सांस्कृतिक कार्यक्रमों से जुड़े रहे हैं। उन्होने कहा कि जहां ब्रिटेन में प्रवासी हिंदी साहित्य का मुख्य विषय भारत के प्रति अतीत-मोह है वहीं तेजेन्द्र शर्मा का लेखन हमेशा ब्रिटेन के जीवन को फ़ोकस करता रहा है। तेजेन्द्र शर्मा ने अपने पिता श्री नन्द गोपाल मोहला और दिवंगत पत्नी इंदु को अपने लेखन का श्रेय देते हुए कहा कि ब्रिटेन की महारानी द्वारा किसी हिन्दी लेखक को उसके साहित्यिक अवदान के लिये सम्मानित किया जाना एक ऐतिहासिक घटना है। इससे हिन्दी को वैश्विक भाषा बनने में बल मिलेगा। उन्होंने अपना पुरस्कार हिन्दी साहित्य जगत को समर्पित करते हुए अपने गुरूजनों को भी याद किया।

भारत से तेजेन्द्र शर्मा की पुत्री आर्या विशेष रूप से अपने पिता के सम्मान समारोह में शामिल होने के लिए लंदन पहुंचीं। भारत की यह टीवी अदाकारा अपना पिता का सम्मान होते देख गौरवान्वित अनुभव कर रही थी। उनके साथ ही साथ तेजेन्द्र शर्मा के एअर इण्डिया ज़माने से मित्र श्री यादव शर्मा एवं काउंसलर ज़किया ज़ुबैरी भी समारोह भी तेजेन्द्र शर्मा के साथ थे। ज़किया जी का मानना है कि तेजेन्द्र शर्मा ने न केवल ब्रिटेन में बल्कि पूरे विश्व में हिन्दी का झण्डा ऊंचा किया है। तेजेन्द्र शर्मा सही मायने में हिंदी के पहले वैश्विक कथाकार हैं।

पंजाब के जगरांव में 21 अक्टूबर 1952 को एक साधारण परिवार में जन्में तेजेन्द्र शर्मा की लगभग दो दर्जन से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है। उन्हे भारत मे साहित्य लेखन के लिए दर्जनों पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है जिसमे केंद्रीय हिंदी संस्थान का डॉ मोटुरी सत्यनारायण सम्मान (2011),  उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान का प्रवासी भारतीय साहित्य भूषण सम्मान (2013), हरियाणा साहित्य अकादमी सम्मान (2012), मध्य प्रदेश संस्कृति विभाग का निर्मल वर्मा सम्मान (2017), महाराष्ट्र साहित्य अकादमी सम्मान (1995),  भारतीय उच्चायोग लंदन का हरिवंश राय बच्चन सम्मान (2008) प्रमुख हैं।

तेजेन्द्र शर्मा ने लंबे समय तक एयर इंडिया में काम करने के बाद 1998 में ब्रिटेन में बस गए। उन्होंने दूरदर्शन और आकाशवाणी के साथ साथ कुछ समय बीबीसी लंदन में भी काम किया। उन्होने नाना पाटेकर के साथ अन्नु कपूर की फिल्म "अभय" में अभिनय किया था। उनकी संस्था "कथा यू के" हर साल ब्रिटिश संसद में किसी भारतीय लेखक को इंदु शर्मा अंतरराष्ट्रीय कथा सम्मान प्रदान करती है। इन दिनों वे ब्रिटिश रेलवे में काम करते हुए अपने नए उपन्यास लिखने में लगे हुए हैं।

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