भारत और चीन के बीच एकबार फिर बेनतीजा रही बातचीत, भारतीय सेना सर्दी और उसके बाद भी चीन के सामने डटे रहने के लिए तैयार
इंडिया टीवी को मिली जानकारी के मुताबिक हम आपको बता दें कि भारत और चीन दोनों यह चाहते है कि डिसएंगेजमेंट हो लेकिन चीन अपनी रट पर लगा हुआ है। चीन पेंगोंग सो के फिंगर चार को छोड़ना नहीं चाहता और वो केवल चुशूल से लेकर मुखपारी, Hunan coast , Rechen La की बात कर रहा है।
नई दिल्ली: इंडिया टीवी को मिली जानकारी के मुताबिक दोनों देशों के बीच हुई बातचीत एकबार फिर बेनतीजा रही। यह पूरी बातचीत चीन के अपनी विस्तारवादी नीति और लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल में बदलाव कर स्टेटस को बदलने के बाद अपनी पुरानी पोजीशन पर न जाने की जिद की वजह से बिना किसी परिणाम के रही। जानकारी के मुताबिक भारत और चीन दोनों यह चाहते है कि डिसएंगेजमेंट हो लेकिन चीन अपनी रट पर लगा हुआ है।
चीन पेंगोंग सो के फिंगर चार को छोड़ना नहीं चाहता और वो केवल चुशूल से लेकर मुखपारी, Hunan coast , Rechen La की बात कर रहा है। जो कि भारतीय सेना को बिल्कुल भी मंजूर नहीं है। यह वो पॉइंट है जिसकी वजह से सहमति नहीं बन पाई और एक बार फिर से दौबारा दोनों सेनाएं अपने डिप्लोमैट के साथ मुलाकात करेंगी।
इंडिया टीवी को मिली जानकारी के मुताबिक भारतीय सेना सर्दी और उसके बाद भी चीन के सामने डटे रहने के लिए तैयार है और इसलिए वो किसी भी पोजिशन को तब तक नहीं छोड़ेंगे जब तक चीन वापस नहीं जाता और चीन पर विश्वास करना सेना के लिए इस समय बिल्कुल भी मुमकिन नहीं है।
-डिसएंगेजमेंट फेज मेनर में हो। जैसे Gogra, Galwan और हॉट स्प्रिंग में दोनों सेनाएं पीछे हटी और अपने हथियारों के साथ अपने जवानों को पीछे किया ठीक वैसे ही चीन साउथ बैंक में करना चाहता है। चीन चाहता है कि दोनों देश सीमित दूरी तक साउथ बैंक पर पेट्रोलिंग न करें। भारतीय सेना इस समय इसे मानने को तैयार नहीं है क्योंकि चीन नॉर्थ बैंक यानी पेंगोंग के फिंगर 4 से लेकर फिंगर आठ के लिए अपनी पोजीशन छोड़ने को तैयार नहीं है।
-चीन चाहता है कि भारतीय सेना Mukhpari, RechenLa,Hunan Coast, Kongrang Nala, Moldo के पास अपने जवानों की तैनाती कम करें। भारतीय सेना अपने हथियारों को भी पीछे ले जाएं और जवानों की संख्या को कम करती हुई चोटियों पर जो जवान बैठे हैं उनको नीचे उतारे।
-भारतीय सेना ने साफ कर दिया कि अप्रैल 2020 के स्टेटस को को मानना पड़ेगा और उसके बाद ही ये पूरा डिसएंगेजमेंट का प्रोसेस शुरू होगा। पैंगोंग सौ के फिंगर चार हटकर चाइनीज पहले को फिंगर आठ पर जाना होगा और 10 की संख्या में अपने परमानेंट स्ट्रक्चर और 60 से ज्यादा जो टेंट चाइनीज पीएलए यहां पर लगाए हैं उनको हटाना होगा। किसी भी तरह से यहां पर चाइनीज सेना की तैनाती नहीं होगी। इस बात को चीन मानने को तैयार नहीं है और यहीं पर ये मामला अटक गया है। चीन चाहता है कि यहां पर वो करीबन 50-100 की संख्या में अपने जवानों को तैनात रखे, जो कि भारत को बिल्कुल भी मंजूर नहीं है।
-इनको ये भी कहा गया कि हमारे प्रधानमंत्री और उनके राष्ट्रपति के बीच अच्छे संबंध हैं और दोनों देशों के हित में शान्ति है। ठंड के मौसम में बदलाव हो रहा है जो चुनौतीपूर्ण होगा।
-चीन को वीडियो और मैप दिखाए गए। लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल और परसेप्शन लाइन बताया गया यहां तक कि चीनी जो उकसावे की कार्रवाई उसके बारे में भी बताया गया।कहा गया कि भारतीय सेना पूरी तरह से तैयार है लेकिन हम लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल को क्रॉस नहीं करना चाहते हैं और न ही लड़ाई करना चाहते हैं लेकिन अपने हकों की और सीमाओं की सुरक्षा बखूबी कर सकते हैं। इसलिए डिफेंसिव और सुरक्षात्मक तौर पर हमने चोटियों के ऊपर अपने जवानों की तैनाती की है।
-चीन डेमचौक, डेपसॉन्ग, चुमार मैं भी भारत के खिलाफ की गई तैनाती को सुरक्षात्मक बताना चाहता है लेकिन भारत में साफ कर दिया कि अप्रैल 2020 के स्टेटस को को मनना ही होगा।
-चीन ने लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर करीबन 35-40 अपने नए base और हॉस्पिटल बनाए हैं। जिसका भी जिक्र मीटिंग में किया गया है।