नई दिल्ली: संयुक्त राष्ट्र द्वारा जम्मू एवं कश्मीर में कथित तौर पर मानवाधिकार उल्लंघन की रिपोर्ट को पूरी तरह खारिज करते हुए सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने कहा है कि उनका उद्देश्य आतंकियों को खत्म करना है, आम नागरिकों को परेशान करना नहीं। जम्मू कश्मीर में राज्यपाल शासन लगाए जाने के कुछ दिनों बाद सेना प्रमुख ने शुक्रवार को कहा कि सेना घाटी में लोगों के प्रति दोस्ताना व्यवहार रखते हुए काम कर रही है। उन्होंने कहा,‘हमारा मूल उद्देश्य घाटी में हिंसा और गड़बड़ी पैदा करने वाले आतंकियों के पीछे पड़ना है। हमारा उद्देश्य ऐसे नागरिकों को परेशान करना नहीं है जो आगजनी या हिंसा में शामिल नहीं होते हैं।’
भाजपा के अपने गठबंधन साझेदार पीडीपी से समर्थन वापस लिए जाने के बाद मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था और इसके बाद गत 20 जून को जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लगाया गया था। पिछले एक दशक में राज्य में चौथी बार राज्यपाल शासन लगाया गया है। यह पूछे जाने पर कि राज्य में सरकार गिरने के बाद क्या घाटी में सुरक्षा बढ़ाई गई है, तो जनरल रावत ने कहा,‘सुरक्षा बढ़ाने जैसा कुछ भी नहीं है। सेना लोगों के प्रति दोस्ताना व्यवहार रखते हुए काम करती है। हमारे नियम बहुत जनोन्मुखी हैं और हम बहुत ही दोस्ताना रुख के साथ अपने अभियान चलाते हैं और, ऐसी प्रेरित रिपोर्ट जिसमें कहा गया है कि भारतीय सेना कश्मीर में बर्बर तरीके से अभियान चला रही है, सच नहीं है।’
इससे पूर्व जनरल रावत ने कश्मीर में कथित मानवाधिकारों के उल्लंघन पर हाल में आई संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट को खारिज कर दिया था और कहा था कि भारतीय सेना का इस संबंध में रिकॉर्ड अच्छा है। सेना प्रमुख शुक्रवार को बारामुला और घाटी के अन्य पड़ोसी क्षेत्रों से 5 लड़कियों समेत स्कूली विद्यार्थियों के एक समूह से मिले। यह समूह राष्ट्रीय एकीकरण दौर के तहत यहां साउथ ब्लॉक में उसे मिलने आया था। उन्होंने कहा,‘हम चाहते है कि ये बच्चे यह संदेश साथ लेकर वापस जायें कि यदि कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियां और पथराव की घटनाएं रुक जाएं तो यह भी दिल्ली या अन्य बड़े शहरों की तरह समृद्ध हो सकता हैं और शायद इससे और बेहतर हो सकता है।’
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