नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को लेह दौरे के दौरान पिछले महीने लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़प में घायल हुए सैनिकों से अस्पताल पहुंचकर मुलाकात की। इस मुलाकात की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल भी हुईं। इसके साथ ही सोशल मीडिया पर तरह-तरह के सवाल खड़े हुए, जिनमें कहा गया कि जहां पीएम मोदी घायल जवानों से मिले वह अस्पताल तो नहीं लगता। अब इस तरह के खोखले सवालों और अफवाहों पर सेना ने सफाई दी है।
सेना की ओर से बयान जारी करके कहा गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लेह के जनरल अस्पताल में दौरे के बाद अस्पताल की स्थिति को लेकर दुर्भावनापूर्ण और निराधार आरोप लगाए गए हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमारे बहादुर सशस्त्र बलों का कैसे उपचार किया जाता है, इस पर आकांक्षाएं डाली जा रही हैं। सशस्त्र बल अपने कर्मियों को सर्वोत्तम संभव उपचार देते हैं।
सेना की ओर से कहा गया कि यह स्पष्ट है कि उक्त सुविधा 100 बिस्तरों की संकट विस्तार क्षमता का हिस्सा है और सामान्य अस्पताल परिसर का हिस्सा है। बयान में कहा गया कि COVID-19 प्रोटोकॉल के अनुसार जनरल अस्पताल के कुछ वार्डों को आइसोलेशन की सुविधा के तौर परपरिवर्तित करने की जरूरत थी।
सेना ने कहा कि इसलिए आमतौर पर एक प्रशिक्षण ऑडियो वीडियो हॉल के रूप में उपयोग में आने वाले इस हॉल को एक वार्ड में परिवर्तित किया गया है। क्योंकि, इस अस्पताल को कोविड-19 उपचार अस्पताल के रूप में भी नामित किया गया है। COVID क्षेत्रों से संगरोध सुनिश्चित करने के लिए गालवान से आगमन के बाद से घायल बहादुरों को यहां रखा गया है।
बयान में कहा गया थल सेनाध्यक्ष जनरल एम एम नरवाने और सेना के कमांडर ने भी उसी स्थान पर घायल बहादुरों से मुलाकात की थी। वहीं, इसके अतिरिक्त PIB की फैक्ट चेक विंग ने भी अस्पताल पर फैसलने वाली अफवाहों को गलत ठहराया है।
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