नई दिल्ली: लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के आसपास भारत-चीन तनाव के बीच फ्रांस से भारतीय वायुसेना को 5 Rafale फाइटर जेट मिले लेकिन सवाल उठता है कि 29 जुलाई को भारतीय वायुसेना के अंबाला बेस पर उतरे ये Rafale जेट कहां हैं? तो बता दें कि ये Rafale फाइटर जेट्स ने आसमान में गरजना और जंग की तैयारी करना शुरू कर दिया है।
भारत-चीन तनाव को देखते हुए पहाड़ी क्षेत्र में किसी भी संभावित युद्ध की तैयारी के लिए वायुसेना के पायलट हिमाचल प्रदेश में Rafale जेट के साथ ट्रेनिंग कर रहे हैं। ये इसलिए किया जा रहा है ताकि अगर लद्दाख सेक्टर में 1,597 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर स्थिति बिगड़ती है तो पायलट किसी भी एक्शन के लिए तैयार रहें।
पहाड़ों के बीच कठिन रास्तोंa में उनका यह अभ्यायस पूर्वी लद्दाख में चीन और कश्मी र में पाकिस्ताखन से लड़ाई के हालात में बेहद काम आएगा। यहां हिमालय की चोटियों की टेरेन वहां से काफी हद तक मिलती-जुलती है। अगर लद्दाख सेक्टहर में चीन से लगी सीमा पर हालात बिगड़ते हैं तो Rafale अपनी Meteor और SCALP मिसाइलों के साथ हमला करने को एकदम तैयार रहेंगे।
बता दें कि ये Rafale भारतीय वायुसेना की गोल्ड न एरोज स्वा ीऔरड्रन को मिले हैं। भारत सरकार ने फ्रांस की कंपनी दसॉल्ट एविएशन से 36 Rafale फाइटर जेट खरीदने का अनुबंध किया है।
हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि पहाड़ी इलाके में अभ्यास कर रहे Rafale फाइटर जेट्स को वास्तविक नियंत्रण रेखा से दूर रखा जा रहा है। इसका कारण बताते हुए उन्होंने कहा कि चीन के कब्जे वाले अक्साई चिन में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के रडार से उसकी फ्रीक्वेंसी सिग्नेंचर की पहचान न हो जाए इसलिए ऐसा किया गया है।
बताया गया कि चीन इन फ्रीक्वेंसी सिग्नेंचर का इस्तेमाल कर जेट्स को जैम कर सकता है। हालांकि फाइटर जेट विशेषज्ञों के मुताबिक, लद्दाख में भी ट्रेनिंग के लिए Rafale का इस्तेमाल किया जा सकता है क्योंेकि इसमें ऐसे सिग्नजल प्रोसेसर्स लगे हैं कि जरूरत पड़ने पर सिग्न ल फ्रीक्वें सी बदल सकते हैं।
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