भारत में सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद भ्रष्टाचार की पैठ अभी भी कितनी गहरी है, इसकी एक झलक ताजा रिपोर्ट में सामने आई है। सर्वे में सामने आया है कि भारत एशियाई क्षेत्र में सबसे अधिक 39% रिश्वत की दर के रूप में उभरा है। वैश्विक नागरिक समाज ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल द्वारा जारी एक हालिया सर्वेक्षण-रिपोर्ट के अनुसार, भारत में ऐसे लोगों की दर उच्चतम (46%) है, जिन्होंने सार्वजनिक सेवाओं का उपयोग करने के लिए व्यक्तिगत कनेक्शन का उपयोग किया है। सर्वे में रिश्वत देने वालों में से लगभग 50% से बात की गई। वहीं व्यक्तिगत कनेक्शन का उपयोग करने वाले 32% लोगों ने कहा कि यदि वे ऐसा नहीं करते तो उन्हें यह सेवा प्राप्त नहीं हो सकती थी।
भारत में सर्वेक्षण में शामिल केवल 47% लोगों का मानना है कि पिछले 12 महीनों में भ्रष्टाचार बढ़ा है। हालांकि सर्वे में सुकून देने वाली बात सिर्फ इतनी है कि 63% लोगों का मानना है कि सरकार भ्रष्टाचार से निपटने के लिए अच्छा काम कर रही है।
सर्वे के अनुसार कंबोडिया में रिश्वत की दूसरी सर्वाधिक दर 37% थी, उसके बाद इंडोनेशिया में 30% थी। मालदीव और जापान ने सबसे कम समग्र रिश्वतखोरी दर (प्रत्येक में 2%), उसके बाद दक्षिण कोरिया (10%) और नेपाल (12%) रहे। जापान में, सार्वजनिक सेवाओं प्राप्त करने वालों में से केवल 4% को व्यक्तिगत कनेक्शन पर भरोसा करना पड़ता था। जबकि भारत में प्रतिशत आंकड़ा 46% पर था, यह इंडोनेशिया में 36% से भी अपेक्षाकृत अधिक था।
विश्व आर्थिक मंच में जनवरी में दावोस में जारी ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल द्वारा जारी एक पूर्व रिपोर्ट में, भारत को भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक में 180 देशों के बीच 80 वें स्थान पर रखा गया था।
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