नई दिल्ली: भारत और रूस जल्द ही एस400 हवाई रक्षा प्रणाली की खरीद का सौदा पूरा कर लेंगे। रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। सीतारमण ने हालांकि इस प्रक्षेपास्त्र प्रणाली का सौदा कितने समय में पूरा होगा, इसकी जानकारी नहीं दी। सीतारमण ने संवाददाताओं को बताया, "यह सौदा लगभग पूरा होने के चरण में है। यह जल्द ही पूरा हो जाएगा। लेकिन यह सौदा कब तक पूरा हो पाएगा, इस बारे में नहीं कह सकती।"
एस-400 सिस्टम की खरीद को लेकर रूस के साथ पिछले कुछ साल से चल रही बातचीत अब निष्कर्ष पर आ गई है। यह सिस्टम लड़ाकू विमान, खुफिया प्लेन, मिसाइल और ड्रोन को तबाह करने में माहिर है। इससे 400 किमी दूर और 30 किमी तक की ऊंचाई के मिसाइल को बताह किया जा सकता है। अमेरिका के प्रतिबंध सीएएटीएसए (काउंटरिंग अमेरिका अडवाजरी थ्रू सेंक्शन ऐक्ट) लगाने से पूर्व ही यह बात काफी आगे बढ़ चुकी थी।
सीएएटीएसए को लेकर रक्षा मंत्री निर्मला सीता रमण और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और उनके अमेरिकी समकक्षों के बीच बातचीत होगी। यह बातचीत पहले जुलाई में होने वाली थी, लेकिन किन्हीं कारणों से अमेरिका ने इसे टाल दिया। अब यह मीटिंग सितंबर के शुरुआत में होगी।
अमेरिका के रक्षा मंत्री जिम मैटिस और विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने भारत जैसे देशों के लिए सीएएटीएसए में छूट की मांग की है, जिनके रूस के साथ 12 बिलियन डॉलर के सौदे हैं। भारत और अमेरिका कम्यूनिकेशन, कॉम्पैटिबिलिटी और सिक्यॉरिटी अरेंजमेंट जैसे मिलिटरी पैक्ट पर भी द्विपक्षीय बातचीत करेंगे।
भारत चीन के बाद इस मिसाइल प्रणाली का दूसरा ग्राहक है। चीन ने साल 2015 में तीन अरब डॉलर का करार किया था। एस-400 पहले केवल रूसी रक्षा बलों के लिए ही उपलब्ध था। यह एस-300 का उन्नत संस्करण है। अलमाज-आंते ने इसका उत्पादन किया है और रूस में 2007 से यह सेवा में है।
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