नयी दिल्ली: भारत ने परमाणु पनडुब्बी ‘आईएनएस अरिहंत’ को हाल में तैनात करने पर चिंता जताने के लिये पाकिस्तान की शुक्रवार को आलोचना की। भारत ने कहा कि यह टिप्पणी ऐसे देश से आई है जिसके लिये ‘जिम्मेदारी के सिद्धांत’ का अस्तित्व ही नहीं है। पाकिस्तान के विदेश कार्यालय के प्रवक्ता मोहम्मद फैसल ने गुरुवार को कहा कि यह घटनाक्रम दक्षिण एशिया में दागने के लिये तैयार परमाणु आयुध की वास्तव में पहली तैनाती का प्रतीक है, जो न सिर्फ हिंदी महासागर के तट पर स्थित देशों बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिये भी चिंता का विषय है। फैसल के बयान पर पूछे गए सवाल के जवाब में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मुद्दे पर भारत के रुख को स्पष्ट कर दिया था।
मोदी ने साफ किया था कि भारत का परमाणु शस्त्रागार आक्रामक नीति का हिस्सा नहीं है, बल्कि शांति और स्थिरता के लिये यह एक महत्वपूर्ण साधन है। कुमार ने कहा, ‘‘हम एक जिम्मेदार देश हैं और मेरा मानना है कि ये टिप्पणियां ऐसे देश से आ रही हैं जिसके लिये जिम्मेदारी के सिद्धांत का अस्तित्व नहीं है।’’ करतारपुर साहिब गलियारे को खोलने के मुद्दे पर कुमार ने कहा कि पाकिस्तान ने इस विषय पर भारत को आधिकारिक तौर पर कुछ भी नहीं बताया है।
पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के इस मुद्दे पर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को पत्र लिखने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि वह पत्र की सामग्री को देखेंगे और तब उसपर टिप्पणी करेंगे। हालांकि, उन्होंने कहा कि भारत ने सरहद पार जाकर गुरुद्वारे का दर्शन करने के लिये सिख श्रद्धालुओं की खातिर सीमा को खोलने का मामला अतीत में पाकिस्तान के समक्ष उठाया है। कुमार ने कहा कि हमने पाकिस्तान से सुना है कि वे ऐसा करना चाहते हैं, लेकिन मुझे पाकिस्तान की तरफ से मिले किसी आधिकारिक पत्र की जानकारी नहीं है जिसमें उन्होंने कहा हो कि वे इस मामले पर हमारे साथ काम करने को उत्सुक हैं। श्रीलंका में राजनैतिक संकट के बारे में पूछे जाने पर कुमार ने कहा कि भारत हालात पर करीबी नजर रखे हुए है।
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