नयी दिल्ली: संवेदनशील परमाणु प्रौद्योगिकी तक पहुंच को नियंत्रित करने वाले परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) की सदस्यता के मुद्दे पर विएना में 48 देशों के इस समूह की बैठक में चीन ने भारत की दावेदारी का विरोध जारी रखा। भारत के आवेदन पर विचार करने के लिए एनएसजी की दो दिवसीय बैठक ऑस्ट्रिया की राजधानी विएना में शुरू हुई और राजनयिक सूत्रों ने कहा कि ज्यादातर देश भारत की दावेदारी के प्रति सकारात्मक नजर आए।
सूत्रों ने कहा, यह सतत प्रक्रिया है लेकिन ज्यादातर देश सकारात्मक नजर आए। अमेरिका भारत को एनएसजी की सदस्यता के मुद्दे पर पुरजोर समर्थन दे रहा है।
बहरहाल, विएना से आई खबरों में कहा गया कि चीन भारत की सदस्यता का विरोध करने वाले देशों की अगुवाई कर रहा है। बताया जाता है कि तुर्की, न्यूजीलैंड, आयरलैंड, दक्षिण अफ्रीका और ऑस्ट्रिया चीनी रूख का समर्थन कर रहे हैं। इससे पहले, दिन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एनएसजी सदस्यता के मुद्दे पर मेक्सिको का समर्थन हासिल हुआ। अपने अमेरिका दौरे के बाद मोदी मेक्सिको की यात्रा पर गए थे।
चीन हमेशा से एनएसजी में भारत की सदस्यता का विरोध करता रहा है। उसका कहना है कि सिर्फ परमाणु अप्रसार संधि :एनपीटी: पर दस्तखत करने वाले देशों को ही इसमें एनएसजी की सदस्यता मिलनी चाहिए। चीन का ये भी कहना है कि यदि किसी तरह की रियायत देकर भारत को एनएसजी की सदस्यता दी जाती है तो पाकिस्तान को भी इस संगठन की सदस्यता दी जानी चाहिए।
अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी ने एक पत्र लिखकर एनएसजी के सदस्य देशों से अपील की है कि इस महीने के अंत में जब सोल में एनएसजी की बैठक हो तो उन्हें भारत को शामिल करने पर आम राय कायम करने में बाधा न डालने पर सहमत होना चाहिए।
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