नई दिल्ली. वैज्ञानिकों का कहना है कि भारत का सीआरआईएसपीआर ‘फेलूदा’ कोविड-19 परीक्षण रैपिड एंटीजन जांच से अधिक सटीक है और यह आरटी-पीसीआर जांच का किफायती, कम समय में परिणाम देने वाला और सरल विकल्प हो सकता है। एसएआरएस-सीओवी-2 का पता चलने पर इसका रंग बदल जाता है। फेलूदा टेस्ट का नाम सत्यजीत राय के मशहूर जासूसी किरदार के नाम पर रखा गया है और इसकी कीमत 500 रुपये है और इसके परिणाम 45 मिनट में आ सकते हैं। यह एसएआरएस-सीओवी-2 को अन्य कोरोना वायरस से पहचान कर सकता है।
‘क्लस्स्टर्ड रेगुलरली इंटरस्पेस्ड शॉर्ट पैलिनड्रोमिक रिपीट्स’ (सीआरआईएसपीआर) फेलूदा टेस्ट का विकास नयी दिल्ली स्थित सीएसआईआर-इंस्टीट्यूट आफ जिनोमिक्स एंड इंटेग्रेटिव बायोलॉजी (आईजीआईबी) और टाटा समूह द्वारा किया गया है। इसे पिछले सप्ताह वाणिज्यिक शुरुआत के लिए दवा नियामक भारतीय औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) की नियामक मंजूरी मिली।
सीएसआईआर-आईजीआईबी के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं इस जांच को विकसित करने वाली टीम का हिस्सा रहे डी चक्रवर्ती ने पीटीआई-भाषा से कहा कि इसमें कोरोना वायरस का पता लगाने के लिए 96 प्रतिशत संवेदनशीलता और 98 प्रतिशत विशिष्टता है। उन्होंने कहा कि किसी भी ‘डायग्नोसिस’ में संवेदनशीलता को किसी रोग से पीड़ित व्यक्तियों की सही पहचान करने की जांच की क्षमता के रूप में परिभाषित किया जाता है, जबकि विशिष्टता परख की क्षमता है जो बिना बीमारी वाले लोगों की सही पहचान कर सके।
गर्भावस्था टेस्ट किट की तरह ही ‘फेलूदा’ वायरस का पता लगने पर अपना रंग बदल लेता है और इसके लिए महंगी मशीनों की जरूरत नहीं पड़ती। इसके अनुसंधानकर्ताओं का कहना है कि इससे देश को इस बीमारी की जांच बढ़ाने में मदद मिल सकती है जहां कोविड-19 के मामले बढ़कर 60.74 लाख हो गए हैं। एक अन्य वैज्ञानिक उपासना रे ने कहा कि सीआरआईएसपीआर आधारित कोविड-19 जांच प्रणाली आरटी-पीसीआर जांच का किफायती विकल्प है जिसकी लागत करीब 1600 रुपये आती है।
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