नई दिल्ली: देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर का कहर जारी है लेकिन इस बार सबसे ज्यादा परेशान करने वाली बात ये है कि कोरोना का शिकार वो लोग भी हो रहे हैं जो कोरोना से लोगों की जिंदगी बचाने में लगे हैं। कोरोना की सेकेन्ड बेव में डॉक्टर्स की जान भी जा रही है ये चिंता की बात है। पिछले एक साल में देश भर में कोरोना वायरस के इन्फैक्शन के कारण 740 से ज्यादा डॉक्टर्स की मौत हो चुकी है। दुख की बात ये है कि कोरोना की दूसरी लहर में 270 डॉक्टर्स की मौत तो पिछले एक महीने में हुई है। इसका मतलब ये है कि कोरोना की फर्स्ट बेव में एक साल के दौरान कोरोना वायरस ने 740 डॉक्टर्स की जान ली जबकि सेकेन्ड बेव के दौरान सिर्फ एक महीने में इस वायरस ने 270 डॉक्टर्स की जान ले ली।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के मुताबिक इस बार 20-25 डॉक्टर्स की मौत रोज हो रही है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन का कहना है कि चूंकि डॉक्टर और हैल्थ वर्कर्स कोरोना मरीजों के साथ होते हैं, वायरस के सामने उनका एक्सपोजर ज्यादा है और चूंकि सेकेन्ड बेव के दौरान कोरोना के नए वैरियंट ज्यादा तेजी से स्प्रैड होता है इसलिए डॉक्टर्स इस बार इस वायरस की चपेट में ज्यादा आ रहे हैं।
कोरोना की वजह से जिन डॉक्टर्स की जान गई है उनमें से सबसे ज्यादा बिहार के हैं। इसके अलावा उत्तर प्रदेश और दिल्ली में भी कई डॉक्टर्स की जान गई है। इस महामारी में करीब 30 साल से 55 साल तक के डॉक्टर्स की जान ज्यादा गई है। हालांकि इसमें बुजुर्ग डॉक्टर्स भी शामिल है लेकिन पिछले साल के मुकाबले इस साल युवा डॉक्टर्स की जान ज्यादा गई है।
डेटा के मुताबिक इन डॉक्टर्स में सबसे ज्यादा उम्र 90 वर्षीय डॉक्टर एस सत्यमूर्ति की है जो कि विशाखापटनम निवासी थे, इसके अलावा उत्तर प्रदेश निवासी डॉ. जे के मिश्रा जिनकी उम्र 85 साल, साथ ही कलकत्ता निवासी डॉ. अनिल कुमार रक्षित जिनकी उम्र 87 साल थी। इस दौरान अब तक अलग-अलग राज्यों में 300 से ज्यादा मीडियाकर्मी भी कोरोना की चपेट में आकर जान गंवा चुके हैं।
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