क्या भारत के पास वैक्सीन के पहले चरण का लक्ष्य पूरा करने की क्षमता है?
यह देखते हुए कि भारत ने जुलाई तक 30 करोड़ लोगों का टीकाकरण करने का लक्ष्य रखा है, क्या देश इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए पर्याप्त खुराक खरीद सकता है?
नई दिल्ली। यह देखते हुए कि भारत ने जुलाई तक 30 करोड़ लोगों का टीकाकरण करने का लक्ष्य रखा है, क्या देश इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए पर्याप्त खुराक खरीद सकता है? 30 करोड़ लोगों का टीकाकरण करने के लिए, देश को 60 करोड़ खुराक की आवश्यकता होगी। जो दो टीके सरकार से अनुमोदन प्राप्त करने की दौड़ में सबसे आगे हैं, उन्हें सुरक्षा के लिए प्रति व्यक्ति दो खुराक की आवश्यकता होगी।
ये दो टीके जिन्हें सरकार वर्तमान में मंजूरी देने पर विचार कर रही है, वे 'कोविशिल्ड' और 'कोवैक्सीन' हैं। पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने क्लिनिकल परीक्षण करने और 'कोविशिल्ड' के निर्माण के लिए ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका के साथ भागीदारी की है, भारत बायोटेक ने 'कोवैक्सीन' के लिए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के साथ सहयोग किया है।
कोविशिल्ड के लिए स्वीकृति जल्द ही मिलने की उम्मीद है, क्योंकि केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन की विषय विशेषज्ञ समिति ने शुक्रवार को इसके आपातकालीन उपयोग की सिफारिश की थी। भारत बायोटेक की 'कोवैक्सीन' और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी-एस्ट्राजेनेका के साथ मिलकर सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की कोरोना वैक्सीन 'कोविशील्ड' दोनों को अंतिम मंजूरी के लिए देश के दवा महानियंत्रक यानी डीसीजीआइ वीजी सोमानी के पास भेजा है। अब देखना होगा कि डीसीजीआइ इन दोनों में से कौन सी वैक्सीन के इस्तेमाल को रविवार (3 जनवरी) को इजाजत देगा।
हालांकि, अब ऐसा प्रतीत होता है कि मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया जुलाई तक 30 करोड़ खुराक के साथ सरकार को आपूर्ति करने की योजना बना रहा है, जो 15 करोड़ लोगों का टीकाकरण करने के लिए पर्याप्त है। इस आंकड़े के साथ, तो सरकार कोविशिल्ड के साथ चरण-1 के लक्ष्यों को पूरा करने के सिर्फ आधे रास्ते तक ही पहुंच पाएगी।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के सेंटर फॉर कम्युनिटी मेडिसिन के एसोसिएट प्रोफेसर हर्षल आर साल्वे ने बताया, "टीकाकरण अभियान को चलाने के लिए, कोल्ड चेन उपकरण जैसे वॉक-इन कूलर, वॉक-इन फ्रीजर, रेफ्रिजरेटर, डीप फ्रीजर पहले से ही खरीदे जाते हैं और राज्यों को वितरित किए जाते हैं।" हवाई अड्डों और प्रमुख रेलवे स्टेशनों पर वैक्सीन भंडारण क्षमता का निर्माण किया जा रहा है। साल्वे ने कहा, "इस बीच एक और वैक्सीन के लिए भी मंजूरी मिल सकती है, जिसे टीकाकरण अभियान में शामिल किया जा सकता है।" अब यह प्रतीत होता है कि भारत के टीकाकरण अभियान की सफलता कोवैक्सीन की प्रभावशीलता पर निर्भर कर सकती है।
यह विशेष रूप से इस तथ्य के मद्देनजर है कि भारत ने अमेरिका सहित कई देशों में अप्रूवल प्राप्त करने वाले अन्य दो टीकों के लिए शुरूआती खरीद सौदों पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं, जिसमें फाइजर-बायोएनटेक और मॉडर्ना द्वारा विकसित टीके शामिल है। चूंकि ये दो टीके अब बहुत मांग में हैं, इसलिए वे भारत को बड़ी संख्या में खुराक की आपूर्ति करने के लिए तैयार नहीं हैं, भले ही नई दिल्ली तेजी से इसके लिए मंजूरी दे दे।
अब विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना के खिलाफ हर्ड इम्यूनिटी हासिल करने के लिए, देश की लगभग 70 प्रतिशत आबादी का टीकाकरण करना होगा, जिसका मतलब है कि लगभग 90 करोड़ लोगों का टीकाकरण करना होगा। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने इस महीने की शुरूआत में कहा था कि कोविड -19 के खिलाफ लगभग 30 टीके भारत में विकास के विभिन्न चरणों में हैं।
30 करोड़ लोगों को टीका लगाने की योजना
केंद्र सरकार ने ड्राइव के पहले चरण में लगभग 30 करोड़ लोगों को टीका लगाने की योजना बनाई है। वैक्सीन सबसे पहले एक करोड़ हेल्थकेयर वर्कर्स के साथ ही 2 करोड़ फ्रंटलाइन और आवश्यक वर्कर्स और 27 करोड़ बुर्जुगों को दी जाएगी।वैक्सीन के लिए पहले से बीमारियों का सामना कर रहे 50 साल से अधिक उम्र के लोगों को प्राथमिकता दी जाएगी।
(इनपुट-IANS)