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Hindi News भारत राष्ट्रीय LAC पर तनाव के बीच पहली बार आमने-सामने होंगे जयशंकर-वांग यी, कल करेंगे चीन-रूस के विदेश मंत्रियों से बात

LAC पर तनाव के बीच पहली बार आमने-सामने होंगे जयशंकर-वांग यी, कल करेंगे चीन-रूस के विदेश मंत्रियों से बात

पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी और भारतीय सैनिकों के बीच सीमा पर हुई हिंसक झड़पों के बाद कल पहली बार जयशंकर और वांग यी आमने-सामने होंगे। 

India-China-Russia trilateral meet tomorrow, EAM S Jaishankar to participate- India TV Hindi Image Source : FILE (PTI) India-China-Russia trilateral meet tomorrow, EAM S Jaishankar to participate

नई दिल्ली: पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी और भारतीय सैनिकों के बीच सीमा पर हुई हिंसक झड़पों के बाद कल पहली बार जयशंकर और वांग यी आमने-सामने होंगे। विदेश मंत्री एस जयशंकर 23 जून को रूस-भारत-चीन (आरआईसी) की त्रिपक्षीय डिजिटल कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लेंगे। इस सम्मेलन में चीन के विदेश मंत्री वांग यी और उनके रूसी समकक्ष सर्जेई लावरोव भी भाग लेंगे। 

इससे पहले गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़पों के बाद बैठक को लेकर अनिश्चितता बनी हुई थी। चीनी सैनिकों के साथ आमने-सामने की झड़प में भारत के 20 सैन्यकर्मी शहीद हो गए थे। इस टकराव की घटना ने दोनों पड़ोसी देशों के बीच सीमा पर पहले से बनी हुई नाजुक स्थिति को और तनावपूर्ण बना दिया है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि बैठक में कोरोना वायरस महामारी पर तथा वैश्विक सुरक्षा एवं वित्तीय स्थिरता से संबंधित मुद्दों पर चर्चा होगी। सूत्रों ने परंपराओं का हवाला देते हुए कहा कि बैठक में भारत और चीन के बीच सीमा पर बने हुए गतिरोध पर चर्चा की संभावना नहीं है क्योंकि त्रिपक्षीय वार्ता के प्रारूप में सामान्य तौर पर द्विपक्षीय विषयों पर बातचीत नहीं की जाती।

रूस पहले ही कह चुका है कि भारत और चीन को सीमा विवाद बातचीत के जरिए सुलझा लेना चाहिए तथा दोनों देशों के बीच सकारात्मक संबंध क्षेत्रीय स्थिरता के लिए जरूरी हैं। तीनों विदेश मंत्री फरवरी में अमेरिका के तालिबान के साथ एक शांति समझौता करने के बाद अफगानिस्तान में उभरते राजनीतिक हालात पर विस्तार से बातचीत कर सकते हैं।

आरआईसी विदेश मंत्रियों की बैठक में क्षेत्र में संपर्क की महत्वपूर्ण परियोजनाओं पर भी चर्चा हो सकती है जिनमें भारत, ईरान, अफगानिस्तान और मध्य एशिया को यूरोप से जोड़ने वाला 7,200 किलोमीटर लंबा अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन कॉरिडोर (आईएनएसटीसी) शामिल है।

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