नई दिल्ली. लद्दाख में LAC पर भारत और चीन के बीच पिछले साल शुरू हुआ विवाद अभी भी जारी है। आज विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने 13वीं All India Conference of China Studies में कहा कि पूर्वी लद्दाख में पिछले वर्ष हुई घटनाओं ने संबंधों को गंभीररूप से प्रभावित किया है। विदेश मंत्री ने कहा कि उन्होंने (लद्दाख में घटनाओं ने) न सिर्फ सैनिकों की संख्या को कम करने की प्रतिबद्धता का अनादर किया, बल्कि शांति भंग करने की इच्छा भी दर्शायी।
पढ़ें- किसान आंदोलन में हिंसा के बाद 'चौधरी' बन रहा चीन, कही बड़ी बात
पढ़ें- गुड न्यूज! उत्तर रेलवे चलाने वाला है नई ट्रेनें, जानिए रूट-टाइम सहित पूरी जानकारी
विदेश मंत्री ने कहा कि चीन के रुख में बदलाव और सीमाई इलाकों में बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती पर अब भी कोई विश्वसनीय स्पष्टीकरण नहीं मिला है। जयशंकर ने कहा कि हमारे सामने मुद्दा यह है कि चीन का रुख क्या संकेत देना चाहता है, ये कैसे आगे बढ़ता है और भविष्य के संबंधों के लिए इसके क्या निहितार्थ हैं। साल 2020 में हुई घटनाओं ने हमारे संबंधों पर वास्तव में अप्रत्याशित दबाव बढ़ा दिया है।
पढ़ें- इन जगहों पर बारिश और बर्फबारी की संभावना, मौसम विभाग ने जताया अनुमान
पढ़ें- Kisan Andolan: 35 से ज्यादा किसान नेताओं को दिल्ली पुलिस ने जारी किया लुक आउट नोटिस
उन्होंने कहा कि संबंधों को आगे तभी बढ़ाया जा सकता है जब वे आपसी सम्मान, आपसी संवेदनशीलता, आपसी हित जैसी परिपक्वता पर आधारित हों। ऐसी कोई भी उम्मीद कि सीमा पर स्थिति की अनदेखी कर जीवन सामान्य रूप से चलता रहे, वास्तविक नहीं है। अगर संबंधों को स्थिर और प्रगति की दिशा में लेकर जाना है तो नीतियों में पिछले तीन दशकों के दौरान मिले सबकों पर ध्यान देना होगा। वास्तविक नियंत्रण रेखा का कड़ाई से पालन और सम्मान किया जाना चाहिए, यथास्थिति को बदलने का कोई भी एकतरफा प्रयास स्वीकार्य नहीं है। सीमाई इलाकों में शांति चीन के साथ संबंधों के संपूर्ण विकास का आधार है, अगर इसमें कोई व्यवधान आएगा, तो निसंदेह बाकी संबंधों पर भी इसका असर पड़ेगा।
पढ़ें- Kisan Andolan: गाजीपुर सीमा से लगातार घर लौट रहे हैं प्रदर्शनकारी, रात को कट गई थी बिजली की सप्लाई
पढ़ें- दिल्ली NCR में छाया घना कोहरा, ठंड को लेकर IMD ने जताया ये अनुमान
Latest India News