भारत और चीन को महत्वपूर्ण मुद्दों पर संतुलन बनाना होगा: जयशंकर
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को कहा कि भारत और चीन को एक दूसरे को प्रभावित करने वाले प्रमुख मुद्दों पर ‘‘संतुलन’’ और आपसी ‘‘समझ’’ बनानी होगी।
नयी दिल्ली: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को कहा कि भारत और चीन को एक दूसरे को प्रभावित करने वाले प्रमुख मुद्दों पर ‘‘संतुलन’’ और आपसी ‘‘समझ’’ बनानी होगी। उन्होंने कहा कि इस तरह के दृष्टिकोण को अपनाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। जयशंकर ने ‘रायसीना डायलॉग’ में अपने संबोधन में कहा कि दोनों देशों को एक-दूसरे के साथ मिलना होगा लेकिन चुनौती यह है कि यह कैसे काम करेगा।
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि यह आज बहुत महत्वपूर्ण है। मेरे मन में, यह बिल्कुल स्पष्ट है कि दोनों देश संतुलन कायम करें और एक दूसरे को प्रभावित करने वाले प्रमुख मुद्दों पर आपसी समझ बनायें। मेरे लिए यह बहुत जरूरी है, न कि विकल्प।’’ उन्होंने कहा कि भारत-चीन संबंध की एक बहुत ही अनोखी विशेषता है कि इतिहास में बहुत कम ही ऐसी दो शक्तियां हैं, जो पड़ोसी हैं। उन्होंने कहा कि भारत और चीन दोनों को साथ-साथ रहना होगा क्योंकि कोई विकल्प नहीं है। इस बीच, जयशंकर ने रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव और बांग्लादेश के सूचना मंत्री हसन महमूद समेत कई विदेशी गणमान्य व्यक्तियों के साथ द्विपक्षीय बैठकें की। लावरोव के साथ अपनी बैठक में जयशंकर ने ईरान, सीरिया और लीबिया से संबंधित स्थिति समेत कई महत्वपूर्ण क्षेत्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की।
विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि जयशंकर ने रूस की मेजबानी में होने वाली आरआईसी की अगली अगली बैठक में भाग लेने संबंधी लावरोव के आमंत्रण को स्वीकार किया। जयशंकर ने महमूद से भी मुलाकात की और भारत तथा बांग्लादेश के बीच संपर्क बढ़ाये जाने पर चर्चा की। विदेश मंत्री ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘बांग्लादेश के सूचना मंत्री डॉ हसन महमूद से मिलकर प्रसन्नता हुई। यह जानने में अच्छा है कि मीडिया पर हमारी पहल को आगे बढ़ाया जा रहा है। कनेक्टिविटी को आगे बढ़ाने पर एक सार्थक चर्चा हुई।’’
जयशंकर ने एस्टोनिया के विदेश मंत्री उरमास रिंसलू से भी मुलाकात की और डिजिटल सहयोग तथा वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की। उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘‘एस्टोनिया के विदेश मंत्री उरमास रिंसलू का गर्मजोशी से स्वागत किया गया। डिजिटल सहयोग और वैश्विक मुद्दों पर बहुत ही सार्थक वार्ता हुई। हम एक साथ काम करने के लिए तत्पर हैं।’’ उन्होंने अमेरिका के एक प्रतिनिधिमंडल से भी मुलाकात की और सहयोग बढ़ाने के अवसरों के बारे में बात की।