पैंगोंग लेक से सैनिकों को पीछे हटाने पर भारत-चीन के बीच समझौता, रक्षा मंत्री ने कहा-'भारत ने कुछ नहीं खोया'
भारत और चीन के बीच पैंगोंग लेक पर सैनिकों को पीछे हटाने का समझौता हो गया है।
नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच एलएसी पर जारी तनाव में अब खत्म होने के आसार हैं। दोनों देशों के बीच पैंगोंग लेक पर सैनिकों को पीछे हटाने का समझौता हो गया है। इसकी जानकारी आज राज्यसभा में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दी। उन्होंने अपने बयान में कहा कि सितंबर माह से दोनों देशों के बीच सैन्य और राजनयिक स्तर पर जारी बातचीत के फलस्वरूप दोनों देश पैंगोंग लेक के उत्तर और दक्षिण में सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया पर सहमत हो गए हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया की जानकारी भी दी और कहा यह प्रक्रिया चरणबद्ध तरीके से पूरी की जाएगी।
रक्षा मंत्री ने कहा-' पैंगोंग झील क्षेत्र में चीन के साथ डिसएंगेजमेंट का जो समझौता हुआ है उसके मुताबिक दोनो पक्ष फारवर्ड डिप्लायमेंट फेज्ड , वेरिफाइड मैनर में हटाएंगे। चीन अपनी सेना की टुकड़ियों को नॉर्थ बैंक में फिंगर 8 के पूर्व की दिशा की तरफ रखेगा और इसी तरह भारत भी अपनी सेना की टुकड़ियों को फिंगर 3 के पास अपने स्थाई बेस धनसिंह थापा पोस्ट पर रखेगा। इसी तरह की कार्रवाई साउथ बैंक एरिया में भी दोनो पक्षों की तरफ से की जाएगी।'
यह कदम आपसी समझौते के तहत बढ़ाए जाएंगे, तथा जो भी निर्माण दोनों पक्षों द्वारा अप्रैल 2020 से नार्थ और साउथ बैंक पर किया गया है उन्हें हटा दिया जाएगा और पुरानी स्थिति लागू की जाएगी। यह भी तय हुआ है कि दोनों पक्ष नॉर्थ बैंक पर अपनी सेना की गतिविधियां जिसमें परंपरागत स्थानों की पेट्रोलिंग भी शामिल है, को अस्थाई रूप से अस्थगित रखेंगे, पेट्रोलिंग तभी शुरू होगी जब सेना या राजनियिक स्तर पर आगे बातचीत करके समझौता किया जाएगा।
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राजनाथ सिंह ने कहा-'इस समझौते पर कार्रवाई कल यानी बुधवार से नार्थ और साउथ बैंक पर आरंभ हो गई है, उम्मीद है पिछले साल के गतिरोध से पहले जैसी स्थिति बहाल हो जाएगी। मैं सदन को आश्वस्त करना चाहता हूं, इस बातचीत में हमने कुछ भी खोया नहीं है, अभी भी LAC पर डिप्लायमेंट और पेट्रोलिंग के बारे में कुछ आउटस्टैंडिंग इश्यु बचे हैं जिनपर आगे की बातचीत में ध्यान रहेगा।'
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उन्होंने कहा-'दोनों पक्ष इस बात पर सहमत है कि द्वीपक्षीय एग्रीमेंट के तहत पूर्ण डिस्एंगेजमेंट जल्द से जल्द कर लिया जाए। चीन भी देश की संप्रभुता की रक्षा के हमारे संकल्प से पूरी तरह और अच्छी तरह अवगत है, चीन द्वारा हमारे बचे हुए मुद्दों को हल करने का पूरी गंभीरता के साथ प्रयास किया जाएगा।'
रक्षा मंत्री ने कहा-'मैं इस सदन से आग्रह करना चाहता हूं कि मेरे साथ संपूर्ण सदन हमारी सेना की इस विषम परिस्थिति में भी शौर्य और वीरता के प्रदर्शन की भूरी भूरी प्रशंसा करे, जिन शहीदों के शौर्य और पराक्रम की नींव पर यह डिसएंगेजमेंट आधारित है उन्हें देश सदा याद रखेगा। मैं इस बात से भी पूरी तरह आश्वस्त हूं, पूरा सदन चाहे वह किसी भी दल का हो, देश की अखंडता और एकता तथा सुरक्षा के प्रश्न पर एक साथ खड़ा है और एक स्वर से समर्थन करता है कि यह संदेश केवल भारत की सीमा तक ही सीमित नहीं रहेगा बल्कि पूरे विश्व में जाएगा।