पीएम मोदी की कूटनीति, पीछे हटा 'ड्रैगन'; अपनी ही चालबाजी में फंस गया चीन
भारतीय सेना के टॉप कमांडर्स ने कल दिनभर पूर्वी लद्दाख के हालात पर रिव्यू मीटिंग की। वहीं दूसरी तरफ जब मोदी सरकार ने चीन के एग्रेसन का जवाब देने की ठानी तो चीन बैकफुट पर आ गया।
नई दिल्ली: क्या भारत से एक और युद्ध चाहता है चीन? यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि लद्दाख में अपने पांव पसारने की तैयारी कर रहे चीन की चाल सबके सामने बेनकाब हो चुकी है जिसके बाद अब वह बैकफुट पर है तो वहीं अब भारत ने भी कमर कस ली है। भारतीय सेना के टॉप कमांडर्स ने कल दिनभर पूर्वी लद्दाख के हालात पर रिव्यू मीटिंग की। वहीं दूसरी तरफ जब मोदी सरकार ने चीन के एग्रेसन का जवाब देने की ठानी तो चीन बैकफुट पर आ गया।
भारत की सख्त कूटनीति का असर हुआ कि चीन शांति का राग अलापने को मजबूर हो गया। यहां तक कि नेपाल भी अपने विवादित नक्शे पर कदम पीछे खींच लिया। चीन विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जाओ लिजियान ने कहा कि भारत-चीन बॉर्डर पर इस वक्त सिचुएशन स्टेबल है और काबू में है। भारत और चीन के बीच बहुत अच्छा बॉर्डर मैकेनिज्म और कम्युनिकेशन चैनल है। दोनों देश इस काबिल हैं कि बातचीत और चर्चा के जरिए किसी भी मुद्दे को हल कर सकते हैं।
वहीं भारत में चीन के राजदूत सुन वेइडोंग ने बुधवार को कहा कि चीन और भारत को अपने मतभेदों का असर कभी भी समग्र द्विपक्षीय संबंधों पर नहीं पड़ने देना चाहिए और आपसी विश्वास को बढ़ाया जाना चाहिए। चीनी राजदूत का यह बयान पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास कुछ संवेदनशील क्षेत्रों में दोनों देशों की सेनाओं के बीच तनातनी के बीच आया है। सैन्य गतिरोध का जिक्र किये बगैर वेइडोंग ने कहा कि दोनों देशों को अपने मतभेद बातचीत के जरिये सुलझाने चाहिए और इस बात का पालन करें कि उन्हें एक-दूसरे से खतरा नहीं है।
अब बताते हैं कि आखिर ये मामला शुरू कैसे हुआ। सैटेलाइट से ली गई तस्वीरों में चीन की चालबाजी का पर्दाफाश हुआ। लद्दाख के पास भारत-चीन सीमा के पास चीन की फौज मिट्टी और कीचड़ ढ़ोने वाले ट्रकों में आई थी। ये ट्रक, आमतौर पर पीपल्स लिबरेशन आर्मी सिविल साइट को मिलिट्री बेस में बदलते वक्त मिट्टी ढोने के लिए इस्तेमाल करती है लेकिन इस बार इन ट्रकों का इस्तेमाल बड़ी संख्या में सैनिकों को लाने में किया गया।
पहली बार भारत सरकार ने भी माना कि चीन ने बॉर्डर पर फौज भेजी, फेसऑफ हुए और चीनी सेना ने टेंट भी लगाए। सरहद पर भारत और चीन के सैनिक आमने सामने हैं। लद्दाख की सीमा पर चीन ने टेंशन बढ़ाई है और इस बार भारत ने साफ कह दिया कि पीछे नहीं हटेंगे। चीन अगर शान्ति से, प्यार से अपने सैनिकों को पुरानी पोजीशन पर ले जाएगा तो ठीक, वरना उसे करारा जवाब मिलेगा।
दरअसल चीन से हमारी सीमा 3488 किलोमीटर लंबी है। चीन से उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, लद्दाख, अरूणाचल प्रदेश और सिक्किम की सीमा लगती है। इस बार लद्दाख में चीनी सेना के साथ विवाद हुआ है। असल में ईस्टर्न लद्दाख के दो इलाके हैं, पहला गलवान वैली और दूसरा है पैंगोग लेक जहां चीन की चालबाजी सामने आई है।
इस इलाके में पांच मई को चीनी और भारतीय सेना आमने सामने आ गई थी। भारतीय सेना उस वक्त अपने इलाके में रोड बना रही थी। एक छोटे ब्रिज का काम चल रहा था। इस पर चीन के सैनिकों ने आपत्ति दर्ज की। चीनी सैनिक पत्थर-डंडे और कंटीले तार लेकर आए और झगड़ा शुरू कर दिया, इसके बाद से ही तनाव है। हकीकत ये है कि भारत चीन बॉर्डर पर चीन ने पांच हजार की फौज खड़ी कर दी है। सरहद पर चीन का एग्रेशन पहले के मुकाबले ज्यादा है और सबसे बड़ी बात ये है कि इस बिल्डअप और एग्रैशन के दौरान चीन के राष्ट्रपति शी जिंगपिंग ने अपनी फौज से वर्स्ट केस सिनेरियो के लिए तैयार रहने को कहा है।
चीन की हरकतों पर भारत सरकार की तरफ से पहली बार जवाब दिया गया। वहीं दूसरी तरफ कल ही रक्षा मंत्रालय में डिफेंस मिनिस्टर राजनाथ सिंह, चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ जनरल विपिन रावत और आर्मी, एयर फोर्स और नेवी के चीफ के बीच में मीटिंग हुई। इसके बाद चीफ ऑफ डिफेंस ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को ब्रीफ किया। जनरल विपिन रावत ने प्रधानमंत्री को बताया कि इस संकट का सामना करने के लिए मिलिट्री का प्लान क्या है तो वहीं इस पूरे मामले को हैंडल करने में लगे अजीत डोवाल भी प्रधामंत्री से मिले और बताया कि इस हालात में मिलिट्री को क्या स्टेप लेने चाहिए।
भारत ने चीन की इस दलील को पूरी तरह खारिज कर दिया कि भारतीय बलों द्वारा चीनी पक्ष की तरफ अतिक्रमण से दोनों सेनाओं के बीच तनाव बढ़ गया। विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत की सभी गतिविधियां सीमा के इसी ओर संचालित की गयी हैं और भारत ने सीमा प्रबंधन के संबंध में हमेशा बहुत जिम्मेदाराना रुख अपनाया है। उसी समय विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा कि भारत अपनी संप्रभुता और सुरक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।