नयी दिल्ली: अमेरिकी राजदूत केनेथ जस्टर ने आज कहा कि चीन में अपना परिचालन कम कर रही अमेरिकी कंपनियों के लिए भारत वैकल्पिक निवेश केंद्र बन सकता है। जस्टर ने कहा कि अमेरिका फर्स्ट और मेक इन इंडिया की नीतियां बेमेल नहीं हैं। उन्होंने कहा कि एक-दूसरे के बाजार में निवेश करना दोनों के लिए फायदेमंद होगा। भारत में अमेरिकी राजदूत का कार्यभार संभालने के बाद अपने पहले नीतिगत भाषण में जस्टर ने कहा कि इससे आर्थिक आदान-प्रदान व व्यापार में इजाफा होगा और यह उभरती प्रौद्योगिकियों में तालमेल के साथ दोनों देशों में रोजगार के अवसरों के सृजन को बढ़ावा देगा। जस्टर ने कहा, ‘‘मैं थोड़ा और आगे बढ़कर सुझाव देता हूं कि यह हमारे आर्थिक संबंधों को रणनीतिक नजरिये से देखने का समय है, जैसा कि हमने रक्षा संबंधों में किया है।’’
उन्होंने इस मौके पर कहा कि कई अमेरिकी कंपनियों ने क्षेत्र के सबसे बड़े बाजार चीन में कारोबार करने में मुश्किलें बढ़ने की बातें कही हैं। उन्होंने कहा, ‘‘इसी कारण कुछ कंपनियां वहां अपना परिचालन कम कर रही हैं जबकि कुछ अन्य कंपनियां दिलचस्पी से वैकल्पिक बाजार तलाश रही हैं। भारत व्यापार व निवेश के जरिये हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिकी कंपनियों का वैकल्पिक केंद्र बन सकता है।
जस्टर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किये गये आर्थिक व नियामकीय सुधारों में गति की बात स्वीकर करते हुए कहा कि इससे भारत को प्रभावी, पारदर्शी और सुव्यवस्थित बाजार के तौर पर देखा जाएगा। दोनों देशों के बीच आपसी व्यापार 2001 के करीब 20 अरब डॉलर से बढ़कर 2016 में 115 अरब डॉलर पर पहुंच गया है।
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