नई दिल्ली। अमेरिका और तालिबान के एक समझौते के नजदीक पहुंचने के बीच भारत ने सोमवार को कहा कि उसने अफगानिस्तान में शांति समझौते का हमेशा ही समर्थन किया है। विदेश सचिव ने कहा कि यह स्थिरता सुनिश्वित करेगा और आतंकवादियों के लिए ऐसी कोई गुंजाइश नहीं छोड़ेगा, जिसका वे लाभ उठा सकें।
विदेश सचिव विजय गोखले ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस सप्ताह होने वाली रूस यात्रा के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि भारत और रूस दोनों का मानना है कि अमेरिका और तालिबान के बीच वार्ता का चाहे जो भी परिणाम निकले, वे एक स्थिर राजनीतिक स्थिति की उम्मीद करते हैं।
भारत और रूस अफगानिस्तान में एक ऐसी स्थिति चाहते हैं जिसमें एक ऐसी राजनीतिक व्यवस्था हो और जहां शांति समझौता या समझौते के बाद की प्रक्रिया मूर्त रूप ले। उन्होंने कहा कि मोटे तौर पर मुद्दे पर हमारा और रूस का विचार एकसमान रहा है। इस बारे में पूछे जाने पर कि यदि भारत को अफगानिस्तान पर वार्ता के लिए आमंत्रित किया गया तो वह किस तरह से प्रतिनिधि भेजेगा, गोखले ने कहा कि वह इस पर अटकलें नहीं लगाना चाहते।
यह पूछे जाने पर कि क्या भारत और रूस इसके मद्देनजर अमेरिका-तालिबान वार्ता को तर्कसंगत मानते हैं जब सरकार इसका हिस्सा नहीं है, गोखले ने कहा, ‘‘हम सभी शांति पहल का समर्थन करते हैं। हम उन सभी का हिस्सा रहे हैं और जब कुछ मामलों में हम शुरू में उसका हिस्सा नहीं थे तब हम उनका समर्थन कर रहे हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमारा मुद्दा यह है कि समाधान के बाद की स्थिति क्या रहती है। इस संबंध में हमारा रुख स्पष्ट रहा है, हम एक ऐसी व्यवस्था का समर्थन करते हैं जिसे एक संवैधानिक वैधता प्राप्त हो, जिसमें राजनीतिक जनादेश हो जो आतंकवादियों या उनके प्रतिनिधियों की मौजूदगी के लिए कोई ऐसी कोई गुंजाइश नहीं छोड़े जिसका वे लाभ उठा सकें।’’
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