नई दिल्ली: सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने एक महत्वाकांक्षी परियोजना को मंजूरी दी है, जिसके तहत रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण सीमावर्ती क्षेत्रों में सेना के लिए एक उच्च सुरक्षायुक्त संचार नेटवर्क की स्थापना की जाएगी। अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इस परियोजना में 7,796 करोड़ रुपये की लागत आएगी। परियोजना का काम सरकारी कंपनी आईटीआई तीन साल के भीतर पूरा करेगी। उन्होंने कहा कि बृहस्पतिवार को इस बाबत अनुबन्ध पर हस्ताक्षर किए गए। उन्होंने कहा कि परियोजना से नियंत्रण रेखा और वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सुरक्षित संचार नेटवर्क स्थापित किया जा सकेगा।
रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, यह संचार नेटवर्क मौजूदा अतुल्यकालिक स्थानांतरण मोड प्रौद्योगिकी को इंटरनेट प्रोटोकॉल (आईपी)/मल्टी प्रोटोकॉल लेबल स्विचिंग (एमपीएलएस) प्रौद्योगिकी में अपग्रेड करेगा। संचार माध्यम के रूप में ऑप्टिकल फाइबर केबल (ओएफसी), माइक्रोवेव रेडियो और सैटेलाइट का उपयोग किया जाएगा। यह परियोजना किसी भी परिचालन परिदृश्य में बेहतर उत्तरजीविता, जवाबदेही और उच्च बैंडविड्थ प्रदान करेगी और आईबी/एलसी/एलएसी के करीब नेटवर्क के संचार कवरेज को बढ़ाएगी।
प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, नेटवर्क मध्य और पूर्वी क्षेत्रों में दूरदराज के परिचालन क्षेत्रों तक उच्च बैंडविड्थ संचार का विस्तार करेगा और पश्चिमी सीमा में भी अग्रिम स्थानों तक संचार की पहुंच को संभव कराएगा। इस प्रकार, यह परियोजना संवेदनशील अग्रिम परिचालन क्षेत्रों में भारतीय सेना के संचार नेटवर्क को बढ़ाएगी, जो भारतीय सेना की परिचालन तैयारियों को, विशेष रूप से एलएसी की वर्तमान स्थिति को ध्यान में रखते हुए, विशेष बढ़ावा प्रदान करेगी। इसके अलावा, यह परियोजना लगभग 80% स्वदेशी सामग्री के साथ भारतीय उद्योग को बढ़ावा देगी।
रक्षा मंत्रालय ने प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि इस परियोजना में सिविल कार्यों का निष्पादन, ओएफसी का निर्माण, टॉवर का निर्माण आदि शामिल है और स्थानीय संसाधनों के उपयोग, स्थानीय श्रमशक्ति को काम पर लगाने के साथ यह विशेष रूप से दूरदराज के सीमावर्ती क्षेत्रों में लोगों को रोजगार के अवसर पैदा करेगा जिससे नेटवर्क का काम पूरा होने और रख-रखाव के लंबे समय के दौरान ग्रामीण अर्थव्यवस्था को समर्थन और बढ़ावा मिलेगा, स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं के स्थानीय वस्तुओं के उत्थान में मदद मिलेगी, और क्षेत्र के लोगों का कौशल विकास भी होगा।
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