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Hindi News भारत राष्ट्रीय पीएम मोदी उठाने वाले हैं क्रांतिकारी क़दम, भारतीय सेना में होगा बड़ा फेरबदल

पीएम मोदी उठाने वाले हैं क्रांतिकारी क़दम, भारतीय सेना में होगा बड़ा फेरबदल

मोदी सरकार के केंद्रीय मंत्रिमंडल की सुरक्षा संबंधी समिति के पास इस वक़्त एक बहुत ही ज़रूरी फाइल है और इस फाइल के आधार पर एक बहुत बड़ा फ़ैसला होने जा रहा है।

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नई दिल्ली: मोदी सरकार के केंद्रीय मंत्रिमंडल की सुरक्षा संबंधी समिति के पास इस वक़्त एक बहुत ही ज़रूरी फाइल है और इस फाइल के आधार पर एक बहुत बड़ा फ़ैसला होने जा रहा है। ये फाइल और इस पर लिया गया फ़ैसला ये तय करेगा कि आर्मी चीफ, वायु सेना अध्यक्ष और नेवी चीफ से भी ऊपर सेना का कौन अफ़सर होगा। अगले कुछ दिन में ये नाम सबके सामने होगा। इसके लिये सरकार के पास नामों की एक लिस्ट आ गई है और उनमें से एक नाम चुना जाना है जिसको देश की तीनों सेनाएं रिपोर्ट करेंगी। अब तीनों सेनाओं को एक नया बॉस मिलने जा रहा है जिसे चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) कहा जाएगा। यानी थल सेना में जनरल भी होगा, एयरफोर्स में एयर चीफ मार्शल भी होगा और नेवी में एडमिरल भी होगा लेकिन इन तीनों के ऊपर सीडीएस होगा। बहुत सरल भाषा में कहें तो तीनों सेनाओं का नेतृत्व अब एक कमांडर करेगा।

इसका फायदा यह होगा कि सरकार को सेना के ऑपरेशंस पर एक और सटीक राय मिलेगी। हथियार कौन से ख़रीदने हैं, कितनी ज़रूरत है ये तमाम बातें भी सीडीएस से सही वक़्त पर मालूम होगी और सेना के बजट का बेहतर इस्तेमाल होगा, कभी फंड की कमी नहीं होगी। ये नया प्रयोग नहीं है। दुनिया के कई देशों में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ पहले से मौजूद हैं। अमेरिका, चीन, फ्रांस, स्पेन, ब्रिटेन, श्रीलंका, इटली जैसे कई देशों में सीडीएस का पद है। जब ओसामा बिन लादेन का एनकाउंटर हो रहा था तब बराक ओबामा के साथ उनके ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ ही बैठे थे।

जब बग़दादी को मारा गया तब डोनल्ड ट्रंप ने ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ़ के ज़रिये ही पूरे ऑपरेशन का ऑर्डर दिया। यानी भारत की फ़ौज में भी ये बदलाव नई क्रांति लाएगा। अगर जंग होगी तो वार रूम में प्रधानमंत्री आर्मी, एयरफोर्स और नेवी से अलग-अलग राय नहीं लेंगे बल्कि सीधे सीडीएस से बात करेंगे। दिसंबर के आख़िर तक देश को पहला सीडीएस मिल जाएगा जो एक जवान से लेकर प्रधानमंत्री तक सेना की बात पहुंचाएगा। सीडीएस का काम बहुत ही अहम होगा। वो सरकार के पास तीनों सेनाओं का नुमाइंदा होगा। वो राष्ट्रीय सुरक्षा के फ़ैसले पर ऐसी राय देगा जो निर्णायक होगी।

भारत की सेना में इस पद की मांग 20 साल से ज़्यादा पुरानी थी लेकिन मोदी सरकार ने इस नये पद के लिये मंज़ूरी देने में देर नहीं लगाई। इसी साल 15 अगस्त को लाल क़िले से भाषण के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साफ़-साफ़ शब्दों में कहा था कि उनकी सरकार सीडीएस का पद बनाने जा रहा है।

2012 में नरेश चंद्र कमेटी ने चीफ आफ डिफेंस स्टाफ के पद की भूमिका और जिम्मेदारियों का मसौदा तैयार किया था जिसमें कहा गया था कि सीडीएस प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री के प्रमुख सैन्य सलाहकार होंगे। इसके साथ ही वे किसी भी संयुक्त सेना कार्यवाही की जानकारी प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री और सुरक्षा समिति को देंगे।

हालांकि सीडीएस किसी भी कार्यवाही के लिए सेना को आदेश नहीं दे सकते और वो इसके लिए प्रधानमंत्री या रक्षा मंत्री को सिर्फ़ सलाह दे सकते है। सीडीएस प्रधांनमंत्री और सुरक्षा समिति को न्यूक्लियर टारगेट की तकनीकी और सामरिक जानकारी भी दे सकते हैं और इसके लिये उनको सुरक्षा समिति का स्थायी सदस्य होना ज़रूरी है। ज्यादातर सरकारों ने अब तक राजनीतिक सहमति नहीं होने की वजह से सीडीएस के पोस्ट को ठंडे बस्ते में डाले रखा। 

2012 में नरेश चंद्र टास्क फोर्स ने चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी के चेयरमैन का प्रस्ताव दिया था जिसका 2 साल का तय कार्यकाल होता। इसमें फिलहाल तीनों चीफ होते हैं जिनमें से सबसे सीनियर चैयरमैन के तौर पर काम करता है। चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी के चेयरमेन के पास तीन सेनाओं के बीच तालमेल सुनिश्चित करने और देश के सामने मौजूद बाहरी सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए सामान्य रणनीति तैयार करने की जिम्मेदारी होती है।

फिलहाल राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवल की अध्यक्षता वाली एक समिति अगले तीन हफ़्तों में सीडीएस की नियुक्ति के तौर तरीक़े तय करेगी और फिर दिसंबर के आख़िर तक सरकार को सीडीएस के रूप में ऐसा सैन्य सलाहकार मिलने का रास्ता साफ हो जाएगा जो तीनों सेनाओं की जानकारी प्रधानमंत्री को देगा। सरकार ने थल सेना, नौसेना और वायु सेना को इस नये पद के लिये अपने-अपने वरिष्ठ कमांडरों के नाम देने के लिये कहा था। हालांकि इन सबमें सबसे वरिष्ठ अफ़सर थल सेना प्रमुख बिपिन रावत हैं।

अभी थल सेना, नौ सेना और वायु सेना अपनी-अपनी कमांड के तहत काम करती हैं। हालांकि इनको एक साथ लाने पर ज़ोर दिया जाता रहा है। तीनों सेनाओं की अलग कमान के अलावा अंडमान और निकोबार कमांड और सामरिक बल कमान यानी एसएएफ है जो भारत के परमाणु हथियारों की देखरेख करती है। ये दोनों पूरी तरह एकीकृत कमांड है जिसमें तीनों सेना के अधिकारी और जवान शामिल होते हैं। ऐसे में अलग-अलग फोर्स फॉर्मेशन और अलग-अलग संचारों के बीच जिस एक ऑर्डर की ज़रूरत महसूस की जा रही है वो सीडीएस पूरी कर सकता है।

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