नई दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ गणतंत्र दिवस पर किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हिंसा से संबंधित एक मामले में दसवीं कक्षा के एक छात्र समेत पांच लोगों को बुधवार को जमानत दे दी। अदालत ने कहा कि उन्हें केवल इस आशंका में हिरासत में नहीं रखा जा सकता है कि वे फिर से ऐसा ही अपराध कर सकते हैं। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सुधांशु कौशिक ने नांगलोई क्षेत्र में हिंसा के मामले में रवि, आशीष, प्रवेश, दीपक सिंह और एक छात्र को 30 हजार रुपये की जमानत राशि और इतनी ही राशि के मुचलके पर जमानत दे दी।
अदालत ने कहा कि पुलिस ने आरोप लगाया है कि आरोपी लोग उन प्रदर्शनकारियों में शामिल थे जिन्होंने पुलिसकर्मियों पर हमला किया और आंसू गैस छोड़ने वाली पुलिस की बंदूक लूट ली, लेकिन उसे बरामद नहीं किया जा सका। न्यायाधीश ने पांच जमानत याचिकाओं पर अपने एक जैसे आदेश में कहा, ‘‘रिकॉर्ड से पता चलता है कि मामले में आवेदक (रवि) के खिलाफ जांच पूरी हो चुकी है। वह पिछले एक महीने से अधिक समय से हिरासत में है। अभियोजन पक्ष ने आवेदक के पहले किसी अपराध में शामिल होने का आरोप नहीं लगाया गया है।’’
न्यायाधीश ने कहा, ‘‘इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए, मेरा विचार है कि आरोपियों को हिरासत में रखने का कोई मतलब नहीं है। उन्हें केवल इस आशंका में हिरासत में नहीं रखा जा सकता है कि वे फिर से ऐसा ही अपराध कर सकते हैं।’’ सुनवाई के दौरान आरोपियों के वकील ने दावा कि मामले में उन्हें झूठा फंसाया गया है और वे किसानों के विरोध मार्च में शांतिपूर्ण ढंग से शामिल होने आये थे। उनके वकील ने कहा कि किसी भी सीसीटीवी कैमरे में आरोपी नहीं पाये गये हैं और प्राथमिकी दर्ज करने में 18 घंटे की देरी हुई।
पुलिस की ओर से पेश अतिरिक्त लोक अभियोजक बलबीर सिंह ने जमानत याचिकाओं का विरोध करते हुए कहा कि आरोप किसान नहीं हैं और दंगे में शामिल होने के लिए उन्हें कथित तौर पर बुलाया गया था। गौरतलब है कि केन्द्र के तीन नये कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर 26 जनवरी को किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान राष्ट्रीय राजधानी में पुलिस के साथ प्रदर्शनकारी किसानों की झड़प हो गई थी, जिसमें 500 से अधिक पुलिसकर्मी घायल हो गये थे और एक प्रदर्शनकारी की मौत हो गई थी।
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