नई दिल्ली: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की हालत अब ऐसी हो गई है कि उन्हें अपनी रैलियों में किराया देकर, पैसे देकर लोगों को बुलाना पड़ रहा है। कल पीओके में इमरान खान ने भारत के खिलाफ खूब जहर उगला लेकिन पीओके के लोगों ने ही इस रैली का बहिष्कार कर दिया। हजार लोगों को इकट्ठा करने के लिए रावलपिंडी और एबटाबाद से लोगों को किराए पर बुलाना पड़ गया।
इमरान खान दुनिया भर में कश्मीर के नाम का ढोल पीट रहे हैं लेकिन उनको सुनने वाला कोई नहीं। हजार लोगों की भीड़ जुटी थी लेकिन इसे जुटाने में पुलिस वाले भी लगे थे, सेना भी लग गई थी, कलाकार भी लगे थे और क्रिकेट के बड़े बड़े सितारे भी लगे थे। तब जाकर इमरान खान को सुनने के लिए लोग पहुंचे और उसके बाद जब रैली शुरु ही तो मुजफ्फराबाद में इमरान खान के चेहरे पर भारत के नाम का डर और पीएम मोदी के नाम की दहशत झलक रही थी।
एक महीने में तीसरी बार इमरान खान पीओके पहुंचे थे लेकिन ना लोगों में उत्साह था और ना ही उनको कोई सुनना चाहता था। जब रैली में उन्होंने तकरीर शुरु की तो लग ही नहीं रहा था कि किसी मुल्क का कोई प्रधानमंत्री बोल रहा हो। एक आतंकी की भाषा बोल रहे थे इमरान खान। लोगों को उकसा रहे थे और भारत के खिलाफ भड़का रहे थे।
चार दिन से सरकार की ओर से विज्ञापन छापे जा रहे थे कि प्रधानमंत्री पीओके के मुजफ्फराबाद पहंचने वाले हैं। लोगों के बीच जूमे की नमाज पढ़ेंगे लेकिन नमाज तो बहाना था असल में दुनिया को दिखाना था कि मुजफ्फराबाद के लोग क्या चाहते हैं। रैली शुरु होने जा रही थी लेकिन जब मुट्ठी भर लोग भी नहीं पहुंचे तो एबटाबाद और रावलपिंडी से लोगों को बस, ट्रेन और ट्रकों में भरकर लाया गया।
पीओके के पत्रकारों ने दुनिया को बताया कि इमरान खान का ये एक फ्लॉप शो था। इमरान की अपील पर भी उनके जलसों में लोग नहीं पहुंचे इसलिए भीड़ इक्कठी करने के लिए इमरान खान शाहिद अफरीदी को लेकर आए थे। सिनेमा के कलाकारों और गायकों को लेकर आए थे ताकि लोगों की भीड़ जुटे और जब भीड़ आई तो वही कश्मीर का रोना शुरु कर दिया। धमकी दे रहे थे कि अगर दुनिया ने पाकिस्तान की आवाज नहीं सुनी तो जंग होगी।
भारत ने जब से कहा है कि पीओके को शामिल करना अब भारत का अगला एजेंडा है तब से पाक में बौखलाहट का तूफान आ गया है। इमरान खान जब तक बोलते रहे मजहब के नाम पर कट्टरवाद को उकसाते रहे। आतंक के आकाओं को उकसाते रहे। भारत से लड़ने की अकड़ में अपनी हैसियत, हकीकत और इतिहास को भूल गए हैं इमरान खान। पाकिस्तान की जनता तक उनको सुनना नहीं चाहती इसलिए रैलियों में में भीड़ जुटाने के लिए पाकिस्तानी सेना को लगाना पड़ रहा है।
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