नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच सोमवार को कोर कमांडर स्तर की वार्ता पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा के चीन वाले हिस्से मोल्दो में होगी । वहीं भारत-चीन के बीच कोर कमांडर स्तर की वार्ता के दौरान विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के भारतीय प्रतिनिधिमंडल में शामिल रहने की संभावना है । इसके साथ ही चीन को संकेत देने के लिए भारतीय वायुसेना में शामिल हुए राफेल विमान भी लद्धाख में उड़ान भरेंगे। सूत्रों से ये सभी जानकारियां मिली है। पिछले तीन हफ्तों में हवाई फायरिंग करने की तीन घटनाओं सहित चीनी सैनिकों के उकसावे वाली कार्रवाइयों के मद्देनजर अपनी तैयारियों को समग्र रूप से बढ़ाने के तहत ऐसा किया जाएगा। वायुसेना में इन लड़ाकू विमानों को शामिल किये जाने के 10 दिनों से भी कम समय के अंदर लद्दाख में उनकी तैनाती की जाने वाली है। अंबाला में 10 सितंबर को एक समारोह में पांच राफेल विमानों को वायुसेना में शामिल किया गया था। इस अवसर पर वायुसेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया ने कहा था कि सुरक्षा परिदृश्य पर विचार करते हुए राफेल लड़ाकू विमानों को शामिल करने का इससे अधिक उचित समय नहीं हो सकता था। राफेल बेड़े को अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पर रखा गया है।
एक सूत्र ने अधिक ब्योरा दिये बगैर बताया, ‘‘राफेल लड़ाकू विमान लद्दाख के आसपास उड़ान भर रहे हैं। ’’ सूत्रों ने बताया कि सेना ने पैंगोंग झील के उत्तरी एवं दक्षिणी तटों के आसपास के सामरिक महत्व की 20 से अधिक पर्वत चोटियों तथा चुशुल के विस्तारित सामान्य क्षेत्र में भी पिछले कुछ दिनों में अपना वर्चस्व बढ़ाया है। जबकि इलाके में हाड़ कंपा देने वाली ठंड है। वायुसेना ने सुखोई 30 एमकेआई, जगुआर और मिराज 2000 जैसे अग्रिम पंक्ति के लड़ाकू विमान पूर्वी लद्दाख में अहम सीमांत एयर बेस पर, वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तथा अन्य स्थानों पर तैनात किये जा चुके हैं । सूत्रों ने बताया कि थल सेना ने सैनिकों की मौजूदा संख्या कायम रखने और पूर्वी लद्दाख तथा अत्यधिक ऊंचाई वाले अन्य संवेदनशील स्थानों पर सर्दियों के महीने में विषम परिस्थिति के लिये सारे इंतजाम कर रखे हैं, जब तापमान शून्य से 20 डिग्री सेल्सियस नीचे चला जाता है। उन्होंने बताया कि झील के उत्तरी एवं दक्षिणी तटों पर तथा टकराव वाले अन्य स्थानों पर स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है।
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