फक्र महसूस होता है कि हम हिंदुस्तानी मुसलमान हैं, राज्यसभा में बोले गुलाम नबी आजाद
गुलाम नबी आजाद ने कहा, "मेरी हमेशा यह शोच रही कि हम बड़े खुशकिश्मत हैं, जन्नत हिंदुस्तान ही है, मैं तो आजादी के बाद पैदा हुआ लेकिन इंटरनेट पर पढ़ता हूं, उन खुशकिश्मत लोगों में हूं जो पाकिस्तान कभी नहीं गया।"
नई दिल्ली. राज्यसभा में आज गुलाम नबी आजाद का आखिरी दिन है। राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने अपने भाषण में कहा, "मेरी हमेशा यह शोच रही कि हम बड़े खुशकिश्मत हैं, जन्नत हिंदुस्तान ही है, मैं तो आजादी के बाद पैदा हुआ लेकिन इंटरनेट पर पढ़ता हूं, उन खुशकिश्मत लोगों में हूं जो पाकिस्तान कभी नहीं गया। लेकिन जब पढ़ता हूं कि वहां किस तरह के हालात हैं, तो मुझे गौरव महसूस होता है कि हम हिंदुस्तानी मुसलमान हैं। विश्व में किसी मुलसमान को अगर गौरव होना चाहिए वह हिंदुस्तान के मुसलमान को गौरव होना चाहिए।"
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गुलाम नबी आजाद ने आगे कहा कि एक दूसरे से लड़ाई करते हुए वहां कोई हिंदू नहीं कोई क्रिश्चियन नहीं लेकिन आपस में लड़ रहे हैं, और जो कल्चर है, हमदर्द तो लोग पाकिस्तान के बहुत हैं, मैं कभी गया नहीं, लेकिन जो समाज में बुराइयां हैं, दूसरे मुल्कों के बारे में नहीं कहता, हमारे मुसलमानों में वो बुराइयां खुदा न करे कि कभी भी लाए। आज हम गौरव से कह सकते हैं। विश्व में किसी मुलसमान को अगर गौरव होना चाहिए वह हिंदुस्तान के मुसलमान को गौरव होना चाहिए। लेकिन यहां मजौरिटी कम्युनिटी को भी 2 कदम बढ़ने की जरूरत है, तभी मजोरिटी कम्युनिटी 10 कदम आगे बढ़ेगी, मेरी हमेशा यह सोच रहेगी।"
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उच्च सदन में अपने विदाई भाषण के दौरान आजाद ने उस घटना का विवरण दिया जिसकी चर्चा करते हुए इससे पहले प्रधानमंत्री का गला रूंघ गया। आजाद ने कहा कि जम्मू एवं कश्मीर का मुख्यमंत्री बनने के कुछ ही दिनों के भीतर कश्मीर में पर्यटकों पर आतंकी हमला हुआ और कुछ पर्यटक मारे गए थे। इनमें गुजरात के पर्यटक भी थे। उन्होंने कहा कि वह जब हवाईअड्डे पहुंचे तब पीड़ित परिवारों के बच्चे उन्हें पकड़कर रोने लगे। आजाद ने कहा कि वह दृश्य देखकर उनके मुंह से चीख निकल गई, ‘‘खुदा तूने ये क्या किया, मैं क्या जवाब दूं इन बच्चों को, इन बच्चों में से किसी ने अपने पिता को गंवाया तो किसी ने अपनी मां को। ये यहां सैर करने आए थे और मैं उनकी लाशें हवाले कर रहा हूं।’’
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जम्मू एवं कश्मीर में आतंकवाद की घटनाओं में शहीद हुए केंद्रीय बलों और पुलिस के जवानों के साथ आम नागरिकों के मारे जाने का उल्लेख करते हुए आजाद ने कश्मीर के हालात ठीक होने की कामना की। अपने संबोधन के दौरान उन्होंने कश्मीरी पंडितों का भी जिक्र किया और कहा कि वह जब छात्र राजनीति में थे उन्हें सबसे अधिक मत कश्मीरी पंडितों का ही मिलता था।
उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी ओर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से कश्मीरी पंडितों के उजड़े आशियानों को बसाने की दिशा में प्रयास करने का आग्रह करते हुए एक शेर सुनाया। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कहा, "गुजर गया वह जो छोटा सा एक फसाना था, फूल थे, चमन था, आशियाना था, न पूछ उजड़े नशेमन की दास्तां, न पूछ थे चार तिनके, मगर आशियाना था।"
पाकिस्तान की मौजूदा स्थिति का जिक्र करते हुए आजाद ने कहा कि उन्हें फक्र होता है कि वह एक हिन्दुस्तानी हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मैं उन खुशकिस्मत लोगों में हूं जो कभी पाकिस्तान नहीं गया। लेकिन जब मैं वहां के बार में पढ़ता हू या सुनता हूं तो मुझे गौरव महसूस होता है कि हम हिन्दुस्तानी मुसलमान हैं। विश्व में किसी मुसलमान को यदि गौरव होना चाहिए तो हिंदुस्तान के मुसलमान को गर्व होना चाहिए।’’
मुस्लिम देशों की स्थिति बयान करते हुए उन्होंने पाकिस्तान का उल्लेख किया और कहा कि वहां जो सामाजिक बुराइयां हैं, वह भारत में नहीं है। उन्होंने कामना करते हुए कहा, "हमारे मुसलमानों में ये सामाजिक बुराइयां कभी ना आए।"