क्या कोरोना की तरह ही संक्रामक है बर्ड फ्लू? पहली मौत के बाद उठे सवाल पर डॉ गुलेरिया ने दिया जवाब
कोरोना महामारी के बीच भारत में इस साल बर्ड फ्लू से मौत का पहला मामला सामने आया। दिल्ली में स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में भर्ती 12 साल के लड़के की मंगलवार को H5N1 एवियन इन्फ्लुएंजा (बर्ड फ्लू) से जान चली गई।
नई दिल्ली: कोरोना महामारी के बीच भारत में इस साल बर्ड फ्लू से मौत का पहला मामला सामने आया। दिल्ली में स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में भर्ती 12 साल के लड़के की मंगलवार को H5N1 एवियन इन्फ्लुएंजा (बर्ड फ्लू) से जान चली गई। बच्चे की मौत के बाद मरीज के संपर्क में आने वाले दिल्ली एम्स के पूरे स्टाफ को एहतियात के तौर पर आइसोलेट कर दिया गया है। इसके बाद लोग सवाल करने लगे कि क्या बर्ड फ्लू मानव से मानव में फैल सकता है? इस सवाल का जवाब अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के प्रमुख रणदीप गुलेरिया ने दिया। उन्होंने कहा कि H5N1 वायरस का मानव से मानव में संक्रमण बहुत दुर्लभ है और घबराने की कोई जरूरत नहीं है।
एम्स निदेशक ने कहा कि हालांकि संपर्क में आने से बचना चाहिए और वायरस के कारण जहां पर बच्चे की मौत हुई, उस क्षेत्र से नमूने लिए जाने की जरूरत है तथा कुक्कुटों की मौत पर नजर रखनी चाहिए। हरियाणा के 12 वर्षीय लड़के की H5N1 वायरस के संक्रमण से हाल में एम्स दिल्ली में मौत हो गयी। गुलेरिया ने कहा, ‘‘पक्षियों से मानवों में वायरस का संक्रमण बहुत दुर्लभ है और H5N1 का मानव से मानव में संक्रमण का मामला अब तक साबित नहीं हुआ है। इसलिए घबराने की जरूरत नहीं है।’’ डॉ. गुलेरिया ने कहा, ‘‘लेकिन पोल्ट्री के निकट काम करने वाले लोगों को निश्चित तौर पर एहतियात बरतना चाहिए और साफ-सफाई रखना चाहिए।’’
एम्स में मेडिसीन विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. नीरज निश्चल ने कहा कि एवियन इन्फ्लूएंजा मुख्य रूप से पक्षियों की बीमारी है और मानव से मानव के बीच संक्रमण का अब तक प्रमाण नहीं मिला है। उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि संक्रमण से प्रभावित कुछ छिटपुट क्षेत्रों का पता चला है। इन क्षेत्रों में दुर्लभ स्थिति में संक्रमण का प्रसार हो सकता है। हालांकि मानव से मानव के बीच संक्रमण का कोई प्रमाण नहीं मिला है।’’ डॉ निश्चल ने कहा, ‘‘सीरो सर्वेक्षण में बिना लक्षण वाले मामलों में कोई प्रमाण नहीं मिला है और उपचार के दौरान स्वास्थ्यकर्मियों में संक्रमण फैलने के कोई सबूत नहीं हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘अगर कोई ठीक से पका हुआ पोल्ट्री उत्पाद खा रहा है तो चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। अभी तक इस बात का कोई सबूत नहीं है कि यह ठीक से पके हुए भोजन से लोगों में फैल सकता है। भोजन को उच्च तापमान पर पकाने पर वायरस नष्ट हो जाता है। संक्रमित, खासकर बीमार मुर्गे-मुर्गियों के संपर्क में आने से बचना चाहिए।’’ डॉ. गुलेरिया ने कहा कि पूर्व में जब मुर्गे-मुर्गियों में H5N1 एवियन फ्लू इन्फ्लूएंजा के मामले सामने आए थे तो संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए उन क्षेत्रों में कुक्कुटों को मार दिया गया था।
उन्होंने कहा कि H5N1 वायरस का प्रसार मुख्य रूप से प्रवासी पक्षियों के जरिए कुक्कुटों में होता है। गुलेरिया ने कहा कि जो लोग पोल्ट्री के निकट संपर्क में काम करते हैं, उनमें संक्रमण होने का खतरा अधिक होता है। एम्स के एक सूत्र ने कहा था कि 12 वर्षीय लड़के को दो जुलाई को निमोनिया और ल्यूकेमिया की दिक्कतों के साथ एम्स में भर्ती कराया गया था। उसकी 12 जुलाई को मृत्यु हो गई। इलाज के दौरान कोविड-19 और इन्फ्लूएंजा की जांच की गयी। सूत्र ने कहा था, ‘‘लड़के की कोविड-19 जांच में संक्रमण की पुष्टि नहीं हुई। इन्फ्लूएंजा संक्रमण की पुष्टि हुई। नमूने को राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान पुणे भेजा गया जहां H5N1 एवियन इन्फ्लूएंजा की पुष्टि हुई।’’
सूत्रों ने कहा कि मामले का विवरण राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) को भेज दिया गया है और उनकी टीम ने निगरानी और संपर्क का पता लगाना शुरू कर दिया है। यह देखा जा रहा है कि क्या इसी तरह के लक्षणों वाला कोई और मामला है जिनके साथ बच्चा संपर्क में आया था। इस बीच, संक्रमित बच्चे के संपर्क में आए एम्स के सभी कर्मचारियों को फ्लू के किसी भी लक्षण पर नजर रखने और तुरंत अधिकारियों को सूचित करने को कहा गया।
जनवरी में महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, हरियाणा और छत्तीसगढ़ जैसे कुछ राज्यों ने बीमारी के फैलने के बाद कुक्कुटों को मार डाला था। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, लोगों में H5N1 संक्रमण के लगभग सभी मामले संक्रमित जीवित या मृत पक्षियों या H5N1 प्रभावित वातावरण के निकट संपर्क से जुड़े हैं। वर्तमान में उपलब्ध महामारी विज्ञान की जानकारी से पता चलता है कि वायरस मनुष्यों को आसानी से संक्रमित नहीं करता है और एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में संक्रमण फैलना दुर्लभ प्रतीत होता है। जब लोग संक्रमित होते हैं तो मृत्यु दर लगभग 60 प्रतिशत होती है। (Input PTI)
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