किस तरह उत्तर प्रदेश पुलिस ने बुलन्दशहर में एक भीषण साम्प्रदायिक दंगा फैलने से रोका
हिंसा को और बढ़ने से रोकने के लिए पुलिस तुरंत हरकत में आई और रैपिड एक्शन फोर्स तथा स्थानीय सुरक्षा बलों की तैनाती की गई
सोमवार को गौरक्षकों की अगुवाई में एक उग्र भीड़ ने उत्तर प्रदेश के बुलन्दशहर जिले में सयाना स्थित पुलिस थाने पर हमला किया और उसे आग लगा दी। इसके अलावा पूरे इलाके में आगजनी हुई। भीड पास के जंगल में गायों को काटे जाने का विरोध कर रही थी । भीड़ में शामिल लोगों ने कटे पशुओं के अवशेषों को अपने ट्रैक्टरों में भरकर पुलिस थाने के सामने हिंसक प्रदर्शन किया। इस हिंसा में गोली चलने से पुलिस इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह और एक युवक की मृत्यु हो गई।
हिंसा को और बढ़ने से रोकने के लिए पुलिस तुरंत हरकत में आई और रैपिड एक्शन फोर्स तथा स्थानीय सुरक्षा बलों की तैनाती की गई। सुरक्षाबलों की तैनाती इसलिए भी जरूरी थी क्योंकि बुलंदशहर जिले में 1-3 दिसंबर के दौरान बड़ी इस्लामिक धार्मिक सभा का आयोजन हुआ था जिसमें लाखों मुस्लिम इकट्ठा हुए थे। आलमी तब्लीगी इज्तिमा में भाग लेने के लिए लाखों मुस्लिम देशभर से तो इकट्ठा हुए ही, साथ में खाड़ी देशों से भी पहुंचे । इस धार्मिक आयोजन के लिए सोमवार आखिरी दिन था।
यहां यह ध्यान रखना भी जरूरी है कि तीन दिन का यह आयोजन शांति पूर्वक खत्म हो गया, यहां तक कि एक जगह ट्रैफिक जाम में फंसे मुसलमानों को नमाज पढने के लिए स्थानीय हिंदुओं ने मंदिर तक खोल दिया। मुसलमानों ने शिव मंदिर के अंदर नमाज पढी । इससे बड़ा सांप्रदायिक सौहर्द्र का उदाहरण क्या हो सकता है ?
इस धार्मिक सभा के अंतिम दिन पशुओं के अवशेष मिलना स्थानीय लोगों के मन में संदेह जरूर पैदा करता है। शहीद पुलिस इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह ने इस दुखद घटना को नियंत्रण में करने के लिए जो काम किया वह सराहनीय है, उन्होंने क्रोध से भरे किसानों को काबू में करने के लिए अपनी तरफ से पूरा प्रयास किया। अपना कर्तव्य निभाते हुए उन्हें अपनी जान तक गंवानी पड़ी। उत्तर प्रदेश सरकार ने उनकी पत्नी और माता पिता को 50 लाख रुपए की सहायता राशि देने का निर्णय लिया है।
इस हिंसा के असली गुनहगारों का पता लगाने के लिए अब उत्तर प्रदेश पुलिस ने विशेष जांच दल का गठन किया है । उम्मीद की जानी चाहिए कि अपराधियों को जल्द से जल्द पकड़कर सजा दी जाएगी।