जम्मू. पिछले साल जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद मंगलवार को सरकार ने एकबार फिर बड़ा फैसला लिया। केंद्र सरकार ने कानून संशोधन करते हुए अब राज्य में आम भारतीयों को भी जमीन खरीदने की अनुमति दे दी। सरकार द्वारा जारी नोटिफिकेशन के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में अब जमीन खरीदन के लिए स्थानीय प्रमाणपत्र की कोई जरूरत नहीं होगी। हालांकि सरकार द्वारा जारी किए गए निर्देश के मुताबिक, अब केंद्र शासित प्रदेश में कोई भी व्यक्ति जमीन खरीद सकता है और वहां बस सकता है। हालांकि, अभी खेती की जमीन को लेकर रोक जारी रहेगी। सरकार ने इसे तुरंत प्रभाव से लागू करने की घोषणा की है।
सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर के कानून में किए गए इस बदलाव का कई सियासी दल विरोध कर रहे हैं। उमर अब्दुल्ला ने केंद्र की ओर से जम्मू-कश्मीर के लिए अधिसूचित नए भूमि कानूनों को 'छल' और 'विश्वास का हनन' करार दिया। सरकार द्वारा जारी आदेश के अनुसार, जम्मू-कश्मीर के 12 कानूनों को संपूर्ण रूप से निरस्त कर दिया गया है। जिन कानूनों को पूरे तौर पर निरस्त किया जा रहा है, उनमें जम्मू-कश्मीर एलियेनेशन ऑफ लैंड एक्ट, जम्मू और कश्मीर बिग लैंडेड इस्टेट्स एबोलिशन एक्ट, जम्मू एंड कश्मीर कॉमन लैंड्स (रेगूलेशन) एक्ट, 1956, जम्मू एवं कश्मीर कंसोलिडेशन ऑफ होलडिंग्स एक्ट, 1962 आदि शामिल है।
क्या कहते हैं नए नियम
सरकार द्वारा लागू किए गए नए कानून के अनुसार, अब जम्मू-कस्मीर में देश के किसी भई हिस्से का नागरिक मकान, दुकान और कारोबार के लिए जमीन खरीद सकता है। अब इस जम्मू-कश्मीर में जमीन खरीदने के लिए मूल निवास प्रमाण होना जरूरी नहीं हैं। हालांकि सरकार ने खेती की जमीन की बाहरी व्यक्ति को बिक्री पर रोक जारी रखी है। लेकिन खेती वाली जमीन किसी गैर-खेतीहर को ट्रांसफर की जास सकेगी। इस जमीन का उपयोग कुछ गैर-कृषि कार्यों में किया जा सकेगा, जिनमें एजुकेशन संस्थान, हेल्थ केयर सेंटर बनाना शामिल है। नए नियमों के अनुसार, खेती वाली भूमि की बिक्री किसी भी ऐसे व्यक्ति को नहीं हो सकेगी जो किसान नहीं है, जबतक सरकार की अनुमति न होगी।
पुराने कानून में थी अलग व्यवस्था
जम्मू-कश्मीर में भूमि खरीदने को लेकर पहले अलग व्यवस्था थी। यहां सिर्फ वही लोग भूमि खरीद पाते थे जिनके पास राज्य का मूल निवास प्रमाण पत्र हो। इस कानून के तहत देश के अन्य राज्यों के लोग जम्मू-कश्मीर में भूमि नहीं खरीद पाते थे। हालांकि मकान, दुकान या कारोबार के लिए पट्टा व्यवस्था यहां लागू थी।
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