सड़कों पर आवारा पशुओं से उत्पन्न खतरों से कैसे निपटा जाए?
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, देश में 19 करोड़ से ज्यादा गोवंश पशु हैं जिनमें 18 करोड़ गोवंश पशु ग्रामीण इलाकों में हैं जबकि 70 लाख पशु शहरी क्षेत्रों में रहते हैं
देश के ज्यादातर राज्य अपने यहां मुख्य सड़कों और राजमार्गों पर घूमते आवारा गायों और सांडों से उत्पन्न खतरों को झेल रहे हैं । यह संकट इतना ज्यादा बढ़ गया है कि रात के समय सड़कों पर होने वाली ज्यादातर दुर्घटनाएं आवारा पशुओं की वजह से ही हो रही हैं।
केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के मुताबिक अकेले पंजाब में ही 2016 के दौरान आवारा पशुओं की वजह से सड़क दुर्घटनाओं में 38 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। आवारा पशुओं की वजह से होने वाली दुर्घटनाओं से अकेले पंजाब में पिछले ढाई साल में 300 से ज्यादा लोगों की मौत हुई।
यही हाल उत्तर प्रदेश का भी है, इंडिया टीवी के संवाददाता ने गुरुवार रात को अपनी रिपोर्ट में बताया, किस तरह लखनऊ-सीतापुर राजमार्ग पर आवारा पशु निडर होकर गाड़ियों के सामने आ रहे थे। शाम होते ही किसान अपने पशुओं को राजमार्गों पर छोड़ देते हैं जिस वजह से गाड़ियां चला रहे लोगों को समस्या का सामना करना पड़ता है।
स्थिति यहां तक पहुंच चुकी है कि सड़क हादसों को रोकने के लिए उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और पंजाब में पुलिस वालों को आवारा पशुओं के सींगों या गले में रात के समय चमकने वाले बैंड बांधने पड़ रहे हैं। उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर और इटावा में पुलिसवालों को आवारा पशुओं को रोशनी पड़ते ही चमकने वाले बैंड बांधते हुए देखा गया, पुलिस वाले बैंड इस लिए बांध रहे थे ताकि गाड़ी की रोशनी पड़ते ही बैंड चमक पड़े और चालक चौकन्ना हो सके। किसी गाय या सांड के गले में बैंड बांधना आसान काम नहीं है और इस प्रक्रिया में समय भी लगता है, लेकिन इस उपाय से सड़क हादसों की संख्या को कम किया जा सकता है, हालांकि यह कोई स्थाई हल नहीं है।
गोवंश संवर्धन और राजमार्गों पर सुरक्षित यात्रा के बड़े पहलू पर केंद्र और साज्य सरकारों को मिलकर सोचना होगा । हालांकि मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान सरकारों ने गोवंश के हजारों आवारा पशुओं को आश्रय देने के लिए गौशालाओं के निर्माण की घोषणाएं की हैं लेकिन जमीनी स्तर पर इसको लेकर काफी काम किए जाने की जरूरत है।
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, देश में 19 करोड़ से ज्यादा गोवंश पशु हैं जिनमें 18 करोड़ गोवंश पशु ग्रामीण इलाकों में हैं जबकि 70 लाख पशु शहरी क्षेत्रों में रहते हैं । गायें जब दूध देना बंद कर देती हैं तो गावों और शहरों में किसान अपनी गायों को सड़कों पर छोड़ देते हैं। गोरक्षा की आवाज उठाने वाले संगठनों को आगे आकर इस दिशा में एक कारगर योजना बनानी चाहिए ताकि सड़कों पर आवारा पशुओं के संकट पर लगाम लगाई जा सके।