Exclusive: निर्भया के दोषियों की टल जाती फांसी! तिहाड़ जेल में दोषी पवन ने बनाया था ये प्लान
निर्भया के दोषियों को फांसी के एक साल बाद इंडिया टीवी आज बहुत बड़ा खुलासा कर रहा है। फांसी होने तक तिहाड़ में 3 दिन बड़ी हलचल हुई थी। फांसी टालने के लिए दोषियों ने क्या-क्या चालें चली थीं, इंडिया टीवी हर बात से पर्दा उठाएगा।
नई दिल्ली। आज ही के दिन (20 मार्च) एक साल पहले निर्भया के दोषियों को फांसी हुई थी। निर्भया के दोषियों को फांसी के एक साल बाद इंडिया टीवी आज बहुत बड़ा खुलासा कर रहा है। फांसी होने तक तिहाड़ में 3 दिन बड़ी हलचल हुई थी। फांसी टालने के लिए दोषियों ने क्या-क्या चालें चली थीं, इंडिया टीवी हर बात से पर्दा उठाएगा। अगर दोषी पवन का कंबल ना उठाया जाता तो फांसी के रास्ते में बड़ी रुकावट आ जाती। तिहाड़ जेल के सूत्रों से बड़ी खबर आज हम आपको बताने जा रहे हैं।
निर्भया के दोषी करने लगे थे गाली-गलौच
17 मार्च 2020 को दिल्ली की तिहाड़ जेल के DG के दफ्तर में जेल का एक तेज तर्रार अधिकारी मिठाई लेकर पहुंचता है। यह मिठाई हाल में उसे एक अवार्ड मिलने की खुशी की होती है, तभी आनन फानन में जेल नंबर 3 के RMO यानी रेजिडेंट मेडिकल आफिसर DG के सामने पहुंचते हैं तो कहते हैं कि निर्भया के दोषी गाली-गलौच कर रहे हैं। जेल स्टाफ को उकसा रहे है कि उन्हें जेल स्टाफ मारे-पीटे और किसी तरह यह फांसी रूक जाए। तभी मिठाई खिलाने वाले अधिकारी की तरफ DG देखते हैं और उस अफसर के गठीले शरीर और उसकी काबलियत से वाकिफ होने के चलते अगले तीन दिन तक के लिए जेल नंबर 3 का चार्ज लेने का जिम्मा उस अफसर को सौंप दिया जाता है।
जानिए दोषी पवन ने फांसी से पहले क्या किया था?
18, 19 और 20 मार्च, 2020 तक अब इस अफसर के कंधे पर भार था उन चार दोषियों की जान सुरक्षित रखने का ताकि 20 मार्च को उन्हें बिना किसी रुकावट फांसी के फंदे पर लटकाया जा सके। हम आपको बता दें कि जेल नंबर 3 के उस वक्त सुपरिटेंडेंट सुनील हुआ करते थे। इस जेल में ही तिहाड़ के बॉडी बिल्डर ASS सुपरिटेंडेंट दीपक शर्मा की भी ड्यूटी थी। दोषी पवन के बड़े रॉज से आज पर्दा हटेगा। 18 मार्च को दोषी पवन रात 2 बजे तक करवट बदलता रहा पर ठीक से सो नहीं पाया। पवन ने 18 तारीख से खाना पीना बन्द कर दिया था यहां तक की बोलचाल भी। जेल नंबर 3 के सेल नंबर 1 में पवन बन्द था। बाकी अक्षय 5 नंबर सेल में, मुकेश और विनय 7 नंबर सेल में बन्द था।
चारों दोषियों की सेल के आस-पास रखी जाती थी भारी सुरक्षा
चारों दोषियों के सेल में उनके इर्दगिर्द 4-4 सिपाही चौबीसों घण्टों मौजूद रहते थे। बाकी सेल के अंदर जहां भी चारों दोषी सोते थे वहीं केबल लगाकर रखे जाते थे ताकि यह खुद को चोट न पहुंचा पाएं। 8-8 सीसीटीवी कैमरे से 24 घण्टे इन पर पैनी नजर भी रखी जाती थी। 19 मार्च को दोषी पवन ने दोपहर के वक्त जेल के अन्दर से फोन पर अपने परिवार से बात करने की इच्छा जाहिर की। जेल मैन्युअल के हिसाब से यह कैदी का अधिकार होता है तो उसे इजाज़त दे दी गई।
पवन ने फांसी से पहले की थी परिजनों से बात
सुरक्षा घेरे में करीब 4 बजकर 30 मिनट पर पवन तिहाड़ जेल के लैंड लाइन फोन पर बात करने पहुंचा। यह फोन ऑटो रिकॉर्ड पर होता है। कुछ देर पवन ने अपने परिवार से बात की तभी पवन ने जो किया अगर उसका यह प्लान सफल हो जाता तो शायद 20 मार्च यानी अगले दिन चारों दोषियों को फांसी पर लटकने में एक बड़ा रोड़ा अटक जाता। दरअसल, जिस वक्त पवन फोन पर बात कर रहा था उसने टेलीफोन के पास रखी एक सेफ्टिक पिन चोरी कर ली और उस पिन को लेकर वो अपने सेल में वापस आ गया और कंबल डालकर सो गया। वक्त हो रहा था शाम के करीब 5 बजकर 30 मिनट। पवन पर कैमरे की नजर थी और कैमरे की मॉनिटरिंग जेल का बड़ा अधिकारी कर रहा था।
सीसीटीवी में दिखी पवन के कंबल के अदंर अजीब हलचल
उस अधिकारी ने सीसीटीवी कंट्रोल रूम से देखा कि पवन के कंबल के अंदर कुछ अजीब हलचल हो रही है तुरंत वायरलैस सेट पर उस अधिकारी ने पवन के सेल में मौजूद जेल स्टाफ को अलर्ट किया और कहा की पवन का कंबल हटाए। और जैसे ही पवन का कंबल जेल स्टाफ ने उठाया तो देखा पवन ने अपने हाथ को उस सेफ्टिक पिन से लहूलुहान कर रखा है। आनन-फानन में सीसीटीवी कंट्रोल रूम पर बैठा वो अधिकारी भी पवन के पास पहुंच गया। पवन का फर्स्ट एड कराया गया, पवन ने यह सब इसलिए किया था ताकि उसे अस्पताल में भर्ती कराया जाए और फांसी टल जाए।
पवन के लिए मंगाई गई हेलमेट और हथकड़ी
सेफ्टिक पिन की घटना के बाद ही 19 मार्च शाम को पवन के लिए एक हेलमेट और एक हथकड़ी मंगाई गई और फिर वो हेलमेट पवन के सिर पर पहना दिया गया और हथकड़ी से उंसके दोनों हाथ पीछे करके बांध दिए गए। देर शाम तक पवन दर्द से कराहने लगा। मिन्नतें कर रोने लगा कि हथकड़ी खोल दी जाए लेकिन उसे सिर्फ इतनी रहम मिली कि उसका हेलमेट उतार दिया गया और हथकड़ी अब आगे हाथ करके फिर लगा दी गई ताकि पवन के कंधे को थोड़ा आराम मिले। जैसे तैसे 19 की रात गुजर रही थी।
पवन ने नहीं खाया था कुछ जबकि अन्य तीनों दोषियों ने मैगी और लड्डु खाए थे
तभी 20 मार्च यानी फांसी के दिन अगली सुबह ठीक 3 बजकर 30 मिनट पर इलाके की महिला DM जेल पहुंच गई। एक घंटे जेल का सारा स्टाफ फांसी होने के अगले आदेश का इंतजार करते रहे और तब जाकर 4.30 बजे सूचना मिली कि फांसी ठीक 5 बजकर 15 मिनट पर चारो दोषियों को दी जाएगी। पवन आज भी भूखा प्यासा था जबकि बाकी तीन दोषियों ने अपने अपने सेल में बीती रात मैगी और लड्डु खाए थे।
पवन नहीं पहन रहा था कुर्ता-पजामा
अब बारी थी चारों को फांसी घर ले जाने की, जिसकी दूरी जेल नंबर 3 के चारों दोषियों के अलग-अलग सेल से महज 100 मीटर की थी। इसके बावजूद एक एम्बुलेंस भी बुलाई गई थी ताकि दोषियों को उनके सेल से फांसी कोठी तक एम्बुलेंस से ले जाया जाए पर एंड वक्त पर फैसला हुआ की चारों को पैदल ही जेल स्टाफ के साथ फांसी कोठी तक ले जाएंगे। तिहाड़ जेल के कैदियों द्वारा बने कुर्ते-पजामे चारों दोषियों के लिए तैयार किए गए थे, जिन्हें फांसी के वक्त दोषियों को पहनना जरूरी था। पवन ही वो दोषी था जो कुर्ता पजामा नहीं पहन रहा था। बड़ी मुश्किल से उसे यह कपड़े पहनाए गए और फिर जैसे ही उसे उसके सेल नंबर 1 से लेकर फांसी कोठी तक पैदल ले जाने लगे बामुश्किल तीन चार कदम चलकर ही वो गिरने लगा तब उसके इर्द-गिर्द मौजूद जेल स्टाफ ने उसे अपने कंधे पर उठाया और फांसी कोठी ले गए।
फांसी कोठी में सिर्फ इशारों-इशारों में हो रही थी बात
फांसी कोठी में करीब 15 से 20 जेल अधिकारी मौजूद थे, जहां बिना बोले सिर्फ इशारों-इशारों में जल्लाद पवन ने दोषियों को लीवर खींच फांसी पर लटका दिया। चेहरे पर काला नकाब पहने अब चारों फांसी के फंदे पर झूल रहे थे। फांसी लगते वक्त अक्षय की चीख निकल गयी थी और सबसे देरी से उसके जान निकली उसके पैर हिल रहे थे। जबकि सबसे पहले महज 5 मिनट में पवन के ही प्राण निकल गए थे। करीब 6 बजकर 30 मिनट तक फांसी लगने के बाद चारों के शव फांसी घर में ही लटके रहे। जिस वक्त चारों को फांसी पर पवन जल्लाद लटका रहा था जेल के बाकी कैदियों में जश्न का माहौल था। जेल में भारत माता की जय के नारे लग रहे थे। जोर-जोर से आवाजें फांसी कोठी तक सुनाई दे रही थीं।
फांसी देने वाला पवन जल्लाद तिहाड़ जेल के सर्किट हाउस में रुका था
इंडिया टीवी आज एक और बड़ा खुलासा करते हुए आपको बता रहा है कि जिस जल्लाद पवन को फांसी देने के लिए बाकायदा मेरठ से तिहाड़ जेल बुलाया गया था वो जल्लाद पवन तिहाड़ जेल के जिस सर्किट हाउस में रुका था, वहां जल्लाद पवन के इंटरव्यू के लिए एक TV चैनल ने तिहाड़ जेल के एक स्टाफ सिपाही को सेट किया और फिर बकायदा पवन जल्लाद को 25 हजार रुपए और एक बुके उस TV चैनल की तरफ से दिया गया था। इस मामले के बारे में जब जेल के सीनियर स्टाफ को सूचना लगी तो उस सिपाही को सस्पेंड कर उस मामले की जांच एक एसिस्टेंड सुपरिटेंडेंट लेवल के अधिकारी को सौंप दी गई, जिसकी जांच चल रही है।
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