जानिए हैदराबाद पुलिस ने कैसे किया बलात्कार के आरोपियों का एनकाउंटर
हैदराबाद में एक पशु चिकित्सक के साथ बलात्कार और फिर उसकी हत्या करने के मामले के सभी चारों आरोपी शुक्रवार सुबह पुलिस के साथ कथित मुठभेड़ में मारे गए। इस संबंध में एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि घटना सुबह साढ़े छह बजे की है।
नई दिल्ली: हैदराबाद में पशु चिकित्सक से बलात्कार और फिर उसकी हत्या कर देने के सभी चारों आरोपी शुक्रवार सुबह पुलिस के साथ मुठभेड़ में मारे गए। यह जानकारी पुलिस के एक शीर्ष अधिकारी ने दी। मुठभेड़ की इस घटना की कई लोगों ने प्रशंसा की जबकि कुछ ने ‘‘न्यायेतर कार्रवाई’’ को लेकर चिंता व्यक्त की। 25 वर्षीय युवती से कथित तौर पर बलात्कार करने, उसकी हत्या करने और उसके बाद उसका शव जलाने के लिए 29 नवम्बर को चार व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया था। इस घटना को लेकर बड़े पैमाने पर आक्रोश उत्पन्न हो गया था और इस घटना से दिल्ली में 16 दिसम्बर 2012 को हुई घटना की यादें ताजा हो गई थीं जब एक फिजियोथेरेपी इंटर्न के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था और जिसकी बाद में इलाज के दौरान मौत हो गई थी। आरोपियों को सात दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया था।
पुलिस ने बताया कि ये मुठभेड़ सुबह पौने छह बजे से सवा छह बजे के बीच हुई। घटना उस समय हुई जब जांच के लिए पुलिस आरोपियों को घटनाक्रम की पुनर्रचना के लिए किसी अज्ञात जगह से हैदराबाद स्थित घटनास्थल ले गई थी। 20 से 24 वर्ष की आयु वाले चारों आरोपियों को हथकड़ी नहीं लगायी गई थी और वे पुलिस हिरासत में थे। साइबराबाद पुलिस आयुक्त सी वी सज्जनर ने बताया कि उनके कर्मियों ने तब ‘‘जवाबी’’ गोलीबारी की जब दो आरोपियों ने पुलिसकर्मियों से हथियार छीनकर पुलिस पर गोलियां चलायीं। उन्होंने कहा कि आरोपियों में शामिल मोहम्मद आरिफ ने सबसे पहले गोलियां चलायीं। वहीं आरोपियों को घटनास्थल पर लेकर गई 10 सदस्यीय पुलिस टीम पर पत्थर एवं अन्य चीजों से भी हमला किया गया। उन्होंने कहा कि पुलिस ने शुरूआत में ‘‘संयम’’ बरता और आरोपियों से आत्मसमर्पण करने के लिए कहने के बाद गोली चलाई।
उन्होंने कहा कि छीने गए हथियार ‘अनलॉक’ थे। उन्होंने कहा कि गोलीबारी की जब घटना हुई उस समय आरोपियों को हथकड़ी नहीं लगायी गई थी और यह घटना आज सुबह पौने छह बजे से सवा छह बजे के बीच हुई। उन्होंने कहा कि पुलिस के एक उप निरीक्षक और एक कान्स्टेबल को सिर में चोटें आयी हैं और उनका इलाज चल रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘यद्यपि हमारे अधिकारियों ने संयम बरता और उन्हें आत्मसमर्पण करने के लिए कहा, आरोपियों ने बात सुनने के बजाय गोलीबारी जारी रखी और हमला किया। हमारे कर्मियों ने जवाबी कार्रवाई की। उस जवाबी कार्रवाई में चार आरोपी मारे गए।’’
आरोपियों के मुठभेड़ में मारे जाने की खबर पर कुछ लोगों ने खुशी जताई जबकि कुछ लोगों ने इस पर चिंता व्यक्त की। पशु चिकित्सक के पिता और बहन ने कहा कि वे खुश हैं और उन्होंने इसके लिए पुलिस तथा तेलंगाना सरकार को धन्यवाद दिया। पशु चिकित्सक के पिता ने कहा, ‘‘हमने टीवी पर देखा कि वे मुठभेड़ में मारे गए हैं। हम बहुत खुश हैं। लोग भी खुश हैं। मैं मुठभेड़ के लिए तेलंगाना सरकार और पुलिस का शुक्रिया अदा करता हूं। मैं हमारे साथ खड़े रहे सभी लोगों का शुक्रिया करता हूं।’’ पशु चिकित्सक की बहन ने उम्मीद जताई कि इस मुठभेड़ से महिलाओं के खिलाफ ऐसे अपराध करने वालों में डर उत्पन्न होगा।
उन्होंने कहा, ‘‘इस घटना से (महिलाओं के खिलाफ) ऐसे अपराध करने वाले लोगों में भय उत्पन्न होगा।’’ हैदराबाद बलात्कार एवं हत्याकांड की शिकार महिला को ‘दिशा’ नाम दिया गया है जबकि दिल्ली में बलात्कार पीड़िता युवती को ‘निर्भया’ नाम दिया गया था। लोगों ने पशु चिकित्सक को श्रद्धांजलि अर्पित की और नारे लगाये कि न्याय हो गया है। कुछ ने ‘‘तेलंगाना पुलिस जिंदाबाद’’ के नारे भी लगाये। लोगों ने पुलिसकर्मियों को मिठाइयां बांटी और कुछ ने मुठभेड़ स्थल और हैदराबाद के अन्य हिस्सों में पटाखे छोड़कर जश्न मनाया और पुलिस को बधाई दी। शहर के एक निवासी ने कहा, ‘‘इससे दिशा की आत्मा को शांति मिली है और परिवार को न्याय मिला है। उन्होंने (पुलिस) एक मुठभेड़ को अंजाम दिया है और हम वास्तव में खुश हैं। इससे ऐसे अपराध करने वालों में भय उत्पन्न होगा।
पुलिस ने एक अच्छा काम किया है।’’ राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने इस घटना पर संज्ञान लिया और जांच का आदेश दिया। आयोग ने एक बयान में कहा कि मुठभेड़ चिंता का विषय है और इसकी सावधानीपूर्वक जांच किये जाने की जरूरत है। कई मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने अपना आक्रोश जताया और कहा कि पुलिस किसी भी परिस्थिति में पीट पीटकर मार डालने वाली भीड़ की तरह काम नहीं कर सकती। मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने कहा कि मुठभेड़ प्राधिकारियों की लोगों का ध्यान महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करने में सरकार की विफलता से बंटाने का एक प्रयास है। कार्यकर्ताओं ने एक संपूर्ण जांच की मांग की। आल इंडिया प्रोग्रेसिव वीमेंस एसोसिएशन की सचिव कविता कृष्णन के अनुसार चार व्यक्तियों का मारा जाना न्याय नहीं बल्कि पुलिस, न्यायपालिका, सरकारों की जवाबदेही और महिलाओं के लिए न्याय एवं गरिमा की मांगों को दबाने का एक ‘‘षड्यंत्र’’ है।
सज्जनर ने पुलिस द्वारा की गई गोलीबारी की घटनाक्रम के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि पुलिस टीम आरोपियों को उनके बयान के आधार पर सेलफोन और अन्य चीजें बरामद करने के लिए उस स्थान पर लेकर गई थी। उन्होंने कहा,‘‘ सभी चार आरोपी एकजुट हो गए और पुलिस दल पर पत्थर एवं अन्य चीजों से हमला करने लगे। उनमें से दो ने हमारे दो अधिकारियों से हथियार भी छीन लिये और गोलीबारी करने लगे।’’ एक चिकित्सकीय टीम मौके पर पहुंची और चिकित्सकों ने संवाददाताओं से कहा कि पास के महबूबनगर जिले में पोस्टमार्टम किया जाएगा। बेंगलुरू के पुलिस आयुक्त भास्कर राव ने पुलिस कार्रवाई का बचाव करते हुए इसे स्थिति को देखते हुए ‘‘सही और समय पर’’ करार दिया। इस बीच, कई नेताओं ने भी इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया दी।
संसद भवन परिसर में संवाददाताओं द्वारा इस मुठभेड़ के बारे में पूछे जाने पर सपा की राज्यसभा सदस्य जया बच्चन ने अपनी संक्षिप्त प्रतिक्रिया में इतना ही कहा ‘‘देर आए दुरुस्त आए।’’ बसपा अध्यक्ष मायावती ने भी पुलिस की उसके द्वारा आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की प्रशंसा की। वहीं कांग्रेस नेता एवं लोकसभा सांसद शशि थरूर ने कहा कि न्यायेत्तर हत्या स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘हमें और जानने की जरूरत है। विस्तृत जानकारी सामने आने तक इसकी निंदा करना सही नहीं है, लेकिन कानून के समाज में न्यायेतर हत्याएं स्वीकार्य नहीं हैं।’’ भाजपा नेता मेनका गांधी ने पुलिस को आड़े हाथ लिया और कहा इससे देश के लिए ‘‘भयानक’’ परिपाटी शुरू होगी। राष्ट्रीय महिला आयोग की प्रमुख रेखा शर्मा ने कहा कि आरोपियों के मारे जाने से खुश हूं, लेकिन न्याय उचित कानूनी तरीके से होना चाहिए था।
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