नयी दिल्ली: भारत में कोरोना वायरस की दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार डेल्टा वेरियंट ने एक बार फिर से रूप बदल लिया है। हर बार की तरह वायरस का नया वेरियंट और खतरनाक रूप लेकर सामने आ रहा है। डेल्टा के इस नए वेरियंट का नाम 'डेल्टा प्लस' या ‘एवाई 1’ है लेकिन भारत में अभी इसे लेकर चिंतित होने की कोई बात नहीं है क्योंकि देश में अब भी इसके बेहद कम मामले हैं। वैज्ञानिकों ने यह जानकारी दी।
‘डेल्टा प्लस’ वेरियंट, वायरस के डेल्टा या बी1.617.2 प्रकार में उत्परिवर्तन होने से बना है जिसकी पहचान पहली बार भारत में हुई थी और यह महामारी की दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार था। हालांकि, वायरस के नए वेरियंट के कारण बीमारी कितनी घातक हो सकती है इसका अभी तक कोई संकेत नहीं मिला है। डेल्टा प्लस उस मोनोक्लोनल एंटीबाडी कॉकटेल उपचार का रोधी है जिसे हाल ही में भारत में स्वीकृति मिली है।
दिल्ली स्थित सीएसआईआर- जिनोमिकी और समवेत जीव विज्ञान संस्थान (आईजीआईबी) में वैज्ञानिक विनोद स्कारिया ने रविवार को ट्वीट किया, “के417एन उत्परिवर्तन के कारण बी1.617.2 वेरियंट बना है जिसे एवाई 1 के नाम से भी जाना जाता है।” उन्होंने कहा कि यह उत्परिवर्तन सार्स सीओवी-2 के स्पाइक प्रोटीन में हुआ है जो वायरस को मानव कोशिकाओं के भीतर जाकर संक्रमित करने में सहायता करता है।
स्कारिया ने ट्विटर पर लिखा, “भारत में के417एन से उपजा प्रकार अभी बहुत ज्यादा नहीं है। यह सीक्वेंस ज्यादातर यूरोप, एशिया और अमेरिका से सामने आए हैं।” स्कारिया ने यह भी कहा कि उत्परिवर्तन, वायरस के विरुद्ध प्रतिरोधक क्षमता से भी संबंधित हो सकता है।
रोग प्रतिरोधक क्षमता विशेषज्ञ विनीता बल ने कहा कि हालांकि, वायरस के नए वेरियंट के कारण एंटीबाडी कॉकटेल के प्रयोग को झटका लगा है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि वायरस अधिक संक्रामक है या इससे बीमारी और ज्यादा घातक हो जाएगी। भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान, पुणे में अतिथि शिक्षक बल ने कहा, “यह नया वेरियंट कितना संक्रामक है यह इसके तेजी से फैलने की क्षमता को परखने में अहम होगा या इसका उलट भी हो सकता है।”
उन्होंने यह भी कहा कि नए वेरियंट से संक्रमित किसी व्यक्ति में रोगाणुओं से कोशिकाओं का बचाव करने वाले एंटीबाडी की गुणवत्ता और संख्या उत्परिवर्तन के कारण प्रभावित होने की आशंका नहीं है। श्वास रोग विशेषज्ञ और चिकित्सा अनुसंधानकर्ता अनुराग अग्रवाल ने बल के मत का समर्थन किया।
सीएसआईआर-आईजीआईबी के निदेशक अग्रवाल ने कहा, “अभी वायरस के इस वेरियंट को लेकर भारत में चिंता की कोई बात नहीं है।” उन्होंने कहा कि वैक्सीन की पूरी खुराक ले चुके लोगों के रक्त प्लाज्मा से वायरस के इस वेरियंट का परीक्षण करना होगा जिससे पता चलेगा कि यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को चकमा दे पाता है या नहीं।
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