चीन ने इन 10 देशों को कोरोना वैक्सीन भेजकर बनाया बेवकूफ! जानिए क्या है पूरा मामला
चीन के दावों पर यकीन करके तुर्की, इंडोनेशिया, ब्राजील, थाईलैंड, सिंगापुर और इजिप्ट समेत 10 देशों ने चाइना की वैक्सीन की करोड़ों डोज ऑर्डर कर दी और अब पछता रहे हैं, क्योंकि वैज्ञानिकों ने वैक्सीन को बेकार और बेअसर साबित करार दिया है।
नई दिल्ली। कोरोना वायरस को लेकर चीन ने ही सबसे पहले कोरोना वैक्सीन बनाने का दावा किया था लेकिन उस समय कई मुल्कों ने कहा कि चीन ने पहले वायरस बनाया और फिर इसकी वैक्सीन बनाकर वो पूरी दुनिया में बेचना चाहता है। चीन की सरकार का दावा था कि चाइनीज वैक्सीन 75 परसेंट तक असरदार है। चीन ने दो वैक्सीन बनाई- एक की कीमत रखी पांच हजार रूपए और दूसरी वैक्सीन की कीमत रखी करीब एक हजार रूपए। चीन के दावों पर यकीन करके तुर्की, इंडोनेशिया, ब्राजील, थाईलैंड, सिंगापुर और इजिप्ट समेत 10 देशों ने चाइना की वैक्सीन की करोड़ों डोज ऑर्डर कर दी और अब पछता रहे हैं, क्योंकि वैज्ञानिकों ने वैक्सीन को बेकार और बेअसर साबित करार दिया है।
वैज्ञानिक बोले- चाइनीज वैक्सीन पानी से ज्यादा कुछ नहीं
कुछ देशों के वैज्ञानिकों ने तो यहां तक कहा है कि चाइनीज वैक्सीन पानी से ज्यादा कुछ नहीं। आपको जानकर हैरानी होगी कि ब्राजील ने तो चाइनीज वैक्सीन के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है और भारत में बनी कोवैक्सीन को खरीदने का फैसला किया है। ब्राजील ने चीन की सिनोवैक कंपनी से 10 करोड़ वैक्सीन का करार किया था लेकिन अपने नागरिकों पर इसका इस्तेमाल करने से पहले ब्राजील की सरकार ने ट्रायल का फैसला किया और ट्रायल के जो नतीजे आए उससे सरकार के होश उड़ गए। पता चला कि चाइना की ये वैक्सीन तो पानी जैसी है, उसकी एफिकेसी 75 परसेंट नहीं बल्कि 50.38 परसेंट ही है।
ब्राजील ने कोवैक्सीन की 20 लाख डोज ले जाने के लिए भेजा प्लेन
अब ब्राजील की सरकार को समझ नहीं आ रहा कि वो चाइनीज वैक्सीन का क्या करे। इस मामले में ब्राजील ने भारत से मदद मांगी है। हमारी स्वदेशी वैक्सीन कोवैक्सीन की 20 लाख डोज ले जाने के लिए ब्राजील ने भारत में स्पेशल प्लेन भेजा है। ब्राजील का हाल देखने के बाद वो मुल्क भी एलर्ट हो गए हैं जिन्होंने चाइनीज वैक्सीन मंगवाई थी। हान्ग कान्ग की तरफ से कहा गया है क्लीनिकल ट्रायल के डेटा के आधार पर वैक्सीन को दोबारा रिव्यू किया जाएगा। सिंगापुर ने चाइनीज वैक्सीन पर रोक लगा दी है। यानि ब्राजील को चाइना से ज्यादा अब मेड इन इंडिया वैक्सीन पर भरोसा है लेकिन चाइनीज वैक्सीन के 50 परसेंट असर वाली रिपोर्ट सामने आने के बाद दूसरे मुल्क अलर्ट हो चुके हैं। और ये ब्राजील के उस Butantan Institute की रिपोर्ट है, जिसे ब्राजील के साओ पाअलो राज्य की सरकार ने ग्रीन सिग्नल भी दे दिया।
ब्राजील ने चीन की वैक्सीन को लेकर किया बड़ा दावा
ब्राजील ने चीन की वैक्सीन को लेकर बड़ा दावा किया है। उसके वैज्ञानिकों का कहना है कि सिनोवैक बायोटेक द्वारा विकसित कोरोनावैक वैक्सीन कोरोना के खिलाफ सिर्फ 50.4 प्रतिशत ही असरदार है। अगर वैज्ञानिकों का ये दावा सही है तो ये टीका दुनिया में विकसित दूसरे टीकों में सबसे कम प्रभावी है। पिछले हफ्ते ही इस टीके के तीसरे चरण के ट्रायल का डेटा आया था, तब उसे 75 प्रतिशत असरदार बताया गया था। हालांकि पाकिस्तान ने चीनी वैक्सीन के लिए बुकिंग कराई है। चीन की वैक्सीन पर इसलिए भी लोग भरोसा नहीं कर रहे क्योंकि उसने बहुत से देशों को घटिया मास्क, टेस्ट किट और PPE सूट निर्यात किए थे।
चीन के विदेश मंत्रालय ने दी सफाई
चीन के विदेश मंत्रालय ने ब्लूमबर्ग से कहा कि चीनी वैक्सीन दो फेज के ट्रायल में सुरक्षित पाई गई है। अब तक विपरीत प्रभाव नहीं दिखा। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजिआन ने बीते सोमवार को सोशल मीडिया पर कहा कि जिन सरकारों ने वैक्सीन के डोज की बुकिंग नहीं करवाई है, उनके पास चीन की वैक्सीन की एकमात्र विकल्प होगा। क्योंकि अगले साल तक बनने वाले करीब 1200 करोड़ डोज का तीन चौथाई हिस्सा अमीर देश बुक करवा चुके हैं। चीन की वैक्सीन कंपनियों के 16 देशों में तीसरे चरण के ट्रायल चल रहे हैं। अब तक यूएई, पाकिस्तान और स्वयं चीन ने वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल को मंजूरी दी है।