उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में जहां तमाम राजनीतिक दलों में धर्म और जाति के नाम वोट बंटोरने की होड़ लगी हुई है वहीं सीतापुर ज़िले के अहमदाबाद नगर में सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल देखने को मिली है। यहां 1993 में बाहरी मस्जिद ढहाए जाने के बाद से एक 100 साल पुरानी मस्जिद वीरान पड़ी हुई थी लेकिन 23 साल बाद मस्जिद में अज़ान सुनाई दी वो भी हिंदु बाईयों की कोशिशों से। यहां मार्च 2016 में नमाज़ अदा की गई।
ये मस्जिद 23 साल से वीरान और जर्जर हालत में थी। हिंदु समुदाय के लोगों ने मिलकर इसे फिर पुराने में लौटाने के प्रयास में बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया।
बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद दो समुदायों में अविश्वास पैदा हो गया था और तभी से मुसलमानों ने यहां नमाज़ पढ़नी बंद कर दी थी। इस प्रशंसनीय पहल के बाद दोनों समुदायों में फिर से सौहार्द पैदा होने का रास्ता खुल गया है। दिलचस्प बात ये है कि मस्जिद की चाबियों का एक सेट फूल बेचने वाले कौशिक रामी और पूनम पारेख को दे रखा है जो रोज़ाना दो बार मस्जिद में अगरबत्ती जलाते हैं।
सामाजिक कार्यकर्ता अज़ीज़ गांधी ने कहा कि हमें ख़ुशी है कि मस्जिद फिर खुल गई और लोग नमाज़ पढ़ रहे हैं।
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