चंडीगढ़: हरियाणा में जाट समेत छह जातियों को पिछड़े वर्ग के तहत दिए गए आरक्षण के लाभ पर पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट शुक्रवार को अपना फैसला सुनाएगा। जस्टिस एसएस सारों और जस्टिस लीजा गिल की खंडपीठ इस मामले में अपना फैसला देगी। 6 मार्च को इस केस की सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रखा गया था। जास्टिस सारों तीन सितंबर को रिटायर होने जा रहे हैं। ऐसे में उनका यह फैसला रिटायमेंट से ठीक पहले दिया जा रहा है।
याचिका दाखिल करनेवाले पक्ष की तरफ से हाईकोर्ट में हरियाणा शिक्षा विभाग के आंकड़े कोर्ट में पेश करते हुए कहा कि अलग-अलग पदों पर जाटों का प्रतिनिधित्व 30 से 56 फीसदी है। हरियाणा सरकार की तरफ से कहा गया कि याचिका दाखिल करनेवाले के आंकड़े गलत हैं। क्योंकि जाति के आधार पर आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं। ऐसे में याचिककर्ता ने यह डाटा खुद ही तैयार की है। वहीं सुनवाई कर रही खंडपीठ का कहना है कि यह संभव नहीं है कि इतने बड़े आंकड़े कोई खुद तैयार कर ले।
हरियाणा सरकार ने याचिककर्ता के उन दावों को खारिज कर दिया गया जिसमें जाटों के पिछड़ा न होने की बात कही गई है। दूसरी तरफ याचिककर्ता पक्ष की तरफ से कहा गया है कि जाट पिछड़ी जाति में नहीं आते हैं। उनका सरकारी नौकरियों और क्लास वन पदों पर वर्चस्व है। वहीं हरियाणा सरकार का कहना है कि जाट पिछड़ेवर्ग में आते हैं और याचिकाकर्ता की तरफ से दिए गए आंकड़े गलत हैं।
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