रांची: झारखंड उच्च न्यायालय ने सर्वोच्च न्यायालय की तल्ख टिप्पणी के बाद हजारीबाग के जिला न्यायाधीश से पूर्व विधायक योगेन्द्र साव पर कथित तौर पर एक आपराधिक मामले में जेल से व्हाट्सएप के माध्यम से आरोप तय करने के संबंध में रिपोर्ट मांगी है। उच्च न्यायालय के महापंजीयक अंबुज नाथ ने बताया कि उच्च न्यायालय के जोनल न्यायाधीश अमिताव कुमार गुप्ता ने इस मामले में जिला जज से पूरे घटनाक्रम की विस्तृत जानकारी देने को कहा है। सर्वोच्च न्यायालय के इस मामले में झारखंड की न्यायपालिका पर टिप्पणी करने के बाद उच्च न्यायालय ने यह कदम उठाया है। (कांग्रेस का भारत बंद पूरी तरह रहा विफल: झारखंड भाजपा )
पूर्व विधायक योगेंद्र साव ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर कर अपने मामले को दिल्ली स्थानांतरित करने का आग्रह किया है। इस मामले की सुनवाई के दौरान ही योगेंद्र साव की ओर से न्यायालय को बताया गया कि एक मामले में उनकी वीडियो कांफ्रेंसिंग से अदालत में पेशी होनी थी लेकिन तकनीकी कारणों से जब ऐसा नहीं हो सका तो व्हाट्सएप कॉल कर उनकी अदालत में पेशी की गयी और उन पर आरोप तय किया गया।
उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय में इसका विरोध किया। इस मामले में सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने इसे गंभीर मामला बताते हुए कहा था कि झारखंड में ऐसा भी मजाक हो रहा है। सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले में राज्य सरकार को भी जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
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