चंडीगढ़: पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने नूरमहल के दिव्य ज्योति जागृति संस्थान (डीजेजेएस) के संस्थापक आशुतोष महाराज के पार्थिव शरीर को संरक्षित करने को आज अपनी मंजूरी दे दी। उन्हें जनवरी 2014 में नैदानिक तौर पर मृत घोषित कर दिया गया था।
डीजेजेएस प्रबंधन इस बात का दावा करता रहा है कि उन्होंने समाधि ले ली थी। उनके अनुयायियों ने उनके पार्थिव शरीर को डेरा परिसर में डीप फ्रीजर में रखा है। न्यायमूर्ति महेश ग्रोवर की खंडपीठ ने उनके पार्थिव शरीर को संरक्षित करने के डेरा प्रबंधन के आवेदन को मंजूरी देते हुए उसके नियमित चिकित्सकीय निरीक्षण का भी निर्देश दिया।
न्यायालय ने हालांकि स्पष्ट किया कि डेरा प्रबंधन को सरकारी चिकित्सकों की एक टीम द्वारा पार्थिव शरीर की चिकित्सकीय जांच में खर्च होने वाली राशि का भुगतान करना होगा।
न्यायालय ने पूर्व में एकल पीठ द्वारा दिये गये फैसले को रद्द करते हुए यह आदेश दिया। एकल पीठ ने पार्थिव शरीर के अंतिम संस्कार का आदेश दिया था।
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