बेंगलुरु। जुलाई महीने में इसरो चांद पर अपना दूसरा स्वदेशी मिशन चंद्रयान -2 भेजने वाला है। इस मिशन में 13 पेलोड होंगे, जिनमें से एक पेलोड अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का भी है। चंद्रयान- 2 दस साल पहले भेजे गए चंद्रयान-1 मिशन का एडवांस वर्जन है।
क्या-क्या होगा चंद्रयान-2 में?
इसरो ने चंद्र मिशन के बारे में ताजा जानकारी देते हुए बताया कि इसमें 13 भारतीय पेलोड (ओर्बिटर पर आठ, लैंडर पर तीन और रोवर पर दो तथा नासा का एक पैसिव एक्सपेरीमेंट (उपरकण) होगा। इस अंतरिक्ष यान का वजन 3.8 टन है। यान में तीन मोड्यूल (विशिष्ट हिस्से) ऑर्बिटर , लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) हैं। अंतरिक्ष एजेंसी ने इस महीने के प्रारंभ में कहा था कि 9 से 16 जुलाई, 2019 के दौरान चंद्रयान - 2 को भेजे जाने के लिए सारे मोड्यूल तैयार किये जा रहे हैं।
चंद्रमा पर क्या काम करेगा चंद्रयान – 2
चंद्रयान - 2 के छह सितंबर को चंद्रमा पर उतरने की संभावना है। ऑर्बिटर चंद्रमा की सतह से 100 किलोमीटर की दूरी पर उसका चक्कर लगाएगा, जबकि लैंडर (विक्रम) चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर आसानी से उतरेगा और रोवर (प्रज्ञान) अपनी जगह पर प्रयोग करेगा। इसरो के मुताबिक इस अभियान में जीएसएलवी मार्क 3 प्रक्षेपण यान का इस्तेमाल किया जाएगा। इसरो ने कहा कि रोवर चंद्रमा की सतह पर वैज्ञानिक प्रयोग करेगा। लैंडर और ऑर्बिटर पर भी वैज्ञानिक प्रयोग के लिए उपकरण लगाये गये है।।
चांद पर कहां जाएगा ये मिशन?
इसरो के अध्यक्ष के. सिवन ने जनवरी में कहा था, “हम (चंद्रमा पर) उस जगह पर उतरने जा रहे हैं जहां कोई नहीं पहुंचा है यानी चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर। इस क्षेत्र को अब तक खंगाला नहीं गया है।’’
चंद्रयान-1 में क्या था?
चंद्रयान - 2 पिछले चंद्रयान - 1 मिशन का उन्नत संस्करण है। चंद्रयान - 1 अभियान करीब 10 साल पहले किया गया था। ये 11 पेलोड लेकर गया था। इसमें से 5 पेलोड भारत के थे, तीन यूरोप, 3 अमेरिका और एक बुल्गारिया का था। चंद्रयान-1 को चंद्रमा की सतह पर पानी खोजने का श्रेय दिया जाता है। इसको पीएसएलवी के जरिए लॉन्च किया गया था। C
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