नई दिल्ली। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा कोविड-19 के संभावित इलाज के लिए हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के उपयोग पर अस्थायी रोक लगाने के बाद मंगलवार को आईसीएमआर ने कहा है कि भारत में किए गए अध्ययनों में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का कोई भी बड़ा दुष्प्रभाव सामने नहीं आया है। इसलिए कोविड-19 के लिए रोकथाम उपचार के तौर पर इसका उपयोग जारी रखा जाना चाहिए।
आईसीएमआर ने कहा है कि भारत में हुए अध्ययनों में एचसीक्यू के कोई अहम दुष्प्रभाव सामने नहीं आए हैं। कोविड-19 के इलाज में इसका इस्तेमाल जारी रहना चाहिए। हमारी स्पष्ट सलाह है कि एचसीक्यू को खाने के साथ लिया जाना चाहिए, खाली पेट नहीं। इलाज के दौरान एक ईसीजी किया जाना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सोमवार को कहा कि कोविड-19 के संभावित इलाज के चल रहे एक वैश्विक औषधि परीक्षण से वह अस्थायी रूप से हाइड्रोक्सीक्लोक्वीन को हटाएगा। संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य संस्था ने कहा है कि इस दवा से होने वाले संभावित फायदे और नुकसान का पर्याप्त मूल्यांकन करने के लिए विशेषज्ञ आंकड़ों का विश्लेषण करेंगे।
जिनेवा में डब्ल्यूएचओ महानिदेशक टेड्रोस एधानोम घेब्रेयसस ने कहा कि इस दवा को वैश्विक औषधि परीक्षण से अस्थायी रूप से हटा दिया गया है। उन्होंने हाइड्रोक्सीक्लोक्वीन और क्लोरोक्वीन तथा अस्पताल में भर्ती कोविड-19 रोगियों पर इनके प्रभावों पर लांसेट जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन का हवाला दिया। अध्ययन दल में शामिल वैज्ञानिकों ने कहा कि जिन रोगियों को यह दवा दी जा रही थी, जब उन पर इसका अकेले या ‘मैक्रोलाइड’ (एंटीबॉयोटिक, जो आम तौर पर जीवाणु से संक्रमण होने पर रोगी को दिया जाता है) के साथ इस्तेमाल किया गया तो उन्होंने अधिक मृत्यु दर होने का आकलन किया।
डब्ल्यूएचओ महानिदेशक ने कहा कि कार्यकारी समूह ने परीक्षण के तहत हाइड्रोक्सीक्लोक्वीन के इस्तेमाल पर अस्थायी रूप से तब तक के लिये रोक लगा दी, जब तक कि डेटा सुरक्षा निगरानी बोर्ड, सुरक्षा डेटा की समीक्षा नहीं कर लेता है।
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