नयी दिल्ली: सीबीआई अधिकारियों ने बोफोर्स सौदे पर गौर कर रही संसद की एक समिति के समक्ष आज कहा कि रक्षा करार से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर करने के लिए उसके पास पर्याप्त सबूत है।एटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने हालांकि सरकार को सलाह दी थी कि जांच एजेंसी को बोफोर्स रिश्वत मामले में एसएलपी दायर नहीं करनी चाहिए क्योंकि इसके खारिज हो जाने की उम्मीद है। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ भाजपा नेता अजय अग्रवाल द्वारा दायर याचिका पर दो फरवरी को सुनवाई करेगी।
अग्रवाल ने निजी हैसियत से, याचिका दायर कर दिल्ली हाईकोर्ट के 2005 के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसमें बोफोर्स रिश्वत मामले में हिन्दुजा बंधुओं के खिलाफ आरोपों को रद्द किया गया था।सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) के अतिरिक्त सचिव राकेश अस्थाना पीएसी की रक्षा संबंधी उप-समिति के समक्ष पेश हुए।
समिति के एक सदस्य के अनुसार सीबीआई अधिकारियों ने बताया कि एसएलपी दाखिल करने के लिए उनके पास पर्याप्त सबूत हैं। वहीं डीओपीटी ने समिति को आश्वासन दिया कि जांच एजेंसी अपना फैसला लेने के लिए स्वतंत्र है।बैठक में मौजूद एक सूत्र के अनुसार विचार विमर्श के दौरान भाजपा सांसद और समिति के सदस्य निशिकांत दूबे ने सुझाव दिया कि सीबीआई मामले में आरोपी रहे दिवंगत विन चड्ढा के पुत्र द्वारा दायर मामले में आयकर प्राधिकरण के आदेश के आधार पर एसएलपी दाखिल की जा सकती है।
बीजद सांसद भतृहरि महताब इस समिति के अध्यक्ष हैं और संभावना है कि समिति बोफोर्स तोप सौदे पर अपनी रिपोर्ट इसी बजट सत्र के दौरान सौंप देगी।
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