नई दिल्ली। उच्च सदन यानी राज्यसभा में मानसून सत्र के पहले ही दिन उपसभापति का चुनाव हुआ। चुनाव में एनडीए उम्मीदवार जनता दल (यूनाइटेड) के हरिवंश नारायण सिंह को एक बार फिर से राज्यसभा का उपसभापति चुना गया। विपक्ष ने हरिवंश नारायण सिंह के सामने आरजेडी के सांसद मनोज झा को उनके सामने खड़ा किया था। राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू ने कहा 'मैं घोषणा करता हूं कि हरिवंश जी को राज्यसभा के उपाध्यक्ष के रूप में चुना गया है। ध्वनि मत से उन्हें चुना गया है।' बता दें कि, हरिवंश नारायण सिंह दूसरी बार इस पद के लिए चुने गए हैं।
जानिए हरिवंश नारायण सिंह के बारे में
हरिवंश का जन्म 30 जून 1956 को बलिया जिले के सिताबदियारा गांव में हुआ था। हरिवंश के लिए माना जाता है कि वह जेपी आंदोलन से खासे प्रभावित रहे हैं। हरिवंश ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में एमए और पत्रकारिता में डिप्लोमा की पढ़ाई की और अपने कैरियर की शुरुआत टाइम्स समूह से की थी। इसके बाद हरिवंश को साप्ताहिक पत्रिका धर्मयुग की जिम्मेदारी सौंपी गई। हरिवंश साल 1981 तक धर्मयुग के उपसंपादक रहे। इसके बाद उन्होंने पत्रकारिता छोड़ उन्होंने साल 1981 से 1984 तक हैदराबाद और पटना में बैंक ऑफ इंडिया में नौकरी की। साल 1984 में एक बार फिर हरिवंश ने पत्रकारिता में वापसी की और साल 1989 तक आनंद बाजार पत्रिका की सप्ताहिक पत्रिका रविवार में सहायक संपादक रहे।
साल 2014 में पहली बार संसद पहुंचे हरिवंश
90 के दशक में हरिवंश बिहार के एक बड़े मीडिया समूह से जुड़े जहां पर उन्होंने दो दशक से ज्यादा समय तक काम किया। अपने कार्यकाल के दौरान हरिवंश ने बिहार से जुड़े गंभीर विषयों को प्रमुखता से उठाया। इसी दौरान वह नीतीश कुमार के करीब आए इसके बाद हरिवंश को जेडीयू का महासचिव बना दिया गया। साल 2014 में जेडीयू ने हरिवंश को राज्यसभा के लिए नामांकित किया और इस तरह से हरिवंश पहली बार संसद तक पहुंचे।
जानिए कैसे होता है राज्यसभा के उपसभापति का चुनाव
राज्यसभा का उपसभापति एक संवैधानिक पद है। भारत के संविधान के अनुच्छेद 89 में कहा गया है कि राज्यसभा अपने एक सांसद को उपसभापति पद के लिए चुन सकता है, जब यह पद खाली हो। दरअसल, उपसभापति का पद इस्तीफा, पद से हटाए जाने या इस पद पर आसीन राज्यसभा सांसद का कार्यकाल खत्म होने के बाद रिक्त हो जाता है।
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